उत्तरकाशी : राज्य स्थापना के 18 साल बीत जाने के बाद भी देवभूमि उत्तराखंड ये किस हाल में है. आज भी लोग सड़क, पानी, बिजली, स्वास्थय सुविधाओं के लिए खून के आंसू रो रहे हैं..नेता तो तभी दिखते हैं जब चुनाव पास हो या वो मांगना हो…कहीं कहीं तो उत्तराखंड के गांवों के हाल ये हैं कि नदीं पार करने के लिए गांववालों के पास पुल तक की सुविधा नहीं है ऐसे में गांव वाले जान जोखिम में डालकर पुल पार करने को मजबूर हैं और खुद की जान जोखिम में डाल रहे है.
उत्तरकाशी की पुरोला तहसील के सर बडियार घाटी के सरगांव का मामला
जी हां ऐसी ही तस्वीर सामने आई जनपद उत्तरकाशी की पुरोला तहसील के सर बडियार घाटी के सरगांव से…जिसको देख हैरानी भी हुई और गुस्सा भी आया. दरअसल सर बडियार घाटी के सरगांव में जय प्रकाश की पत्नी को पेट में भारी दर्द हुआ. घाटी मे कोई प्राथमिक उपचार की व्यवस्था न होने के कारण गांव के लोग उसे इलाज के लिए बड़कोट ले जाना पड़ा…हैरान की बात तो ये है कि यहां न तो पक्की सड़क है और न ही उफनती बड़ियाड़ गाड़ पर कोई पुल बन पाया है. ग्रमीणों ने खुद व्यवस्था के लिए लकड़ी का अस्थाई पुल बनाया है जिसमें एक की जान भी जा चुकी है।
एक की हो चुकी है मौत
मिली जानकारी के अनुसार बड़ियाड़ गाड़ में कुछ ही दिन पहले ग्रमीणों ने लकड़ी के डंडों से एक अस्थायी पुल बनाया है और बीते दिन इस लकडी के पुलस पर पैर फिसलने से एक ग्रामीण भरत सिंह रावत पुत्र श्री नंदराम की मौत हो गई.
समय रहते जरुर सरकार को गांव की ओर ध्यान देने की जरुरत है
आपको बता दें कि उत्तरकाशी जनपद की सर बड़ियार घाटी के लोग अपनी समस्याओं से कई बार मंत्री-विधायकों को अवगत करा चुके हैं लेकिन इन पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है. पूर्ववर्ती सरकारों से लेकर जिला प्रशाशन से लेकर और वर्तमान त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार को भी मौखिक और पत्र के माध्यम से अवगत करा चुका है लेकिन किसी के कान में जूं तक नहीं रेंगा..उत्तराखंड में कई ऐसे गांव हैं जिनकी हालत बद से बद्तर है.न जाने गांव वालों को और कितना दुख सहन करना पड़ेगा, न जाने कितने गांव खाली होंगे और न जाने कितनी की जान यूं ही जोखिम भरी रहेगी. समय रहते जरुर सरकार को गांव की ओर ध्यान देने की जरुरत है.