नैनीताल में सरकारी कामकाज का ऐसा नमूना सामने आया है जो संपूर्ण सरकारी व्यवस्था को ही नमूना बताने के लिए काफी है।
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दरअसल नैनीताल विकास प्राधिकरण में करप्शन को कुछ यूं अंजाम दिया जा रहा था मानों वो विभाग के लिए जरूरी हो। इस बात का खुलासा खुद कमिश्नर दीपक रावत के सामने हुआ है।
फाइलों तक पहुंच
अब पहले पूरा मामला समझ लीजिए। बुधवार को नैनीताल कमिश्नर अचानक नैनीताल विकास प्राधिकरण में औचक निरीक्षण के लिए पहुंचे। एक एक कर वो कामकाज की जानकारी लेने लगे। इसी बीच उनका सामना एक ऐसे शख्स से हुआ जो कई महत्वपूर्ण फाइलों की नोटशीट तैयार करने में लगा था।
उत्सुकतावश दीपक रावत ने उस शख्स से जानकारियां लेनी शुरु कीं। हालांकि उस व्यक्ति के बारे में जान कुछ ही देर में दीपक रावत हैरानी से भर गए। पता चला कि जो व्यक्ति महत्वपूर्ण फाइलों की नोटशीट तैयार कर रहा है वो तो प्राधिकरण में वर्तमान में कार्यरत ही नहीं है। वो दो वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हो चुके चंद्र प्रकाश जोशी हैं।
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रोजाना दफ्तर
अब फिर क्या था। दीपक रावत ने पूरी जानकारी लेनी शुरु की तो पता चला कि जोशी जी दो साल पहले रिटायर तो हो गए लेकिन उनके कार्यालय वालों ने उन्हे काम देना बंद नहीं किया। बल्कि अब भी न सिर्फ उनके पार अच्छी खासी पॉवर थी बल्कि वो रोजाना की तरह ही दफ्तर भी आते हैं और नोटशीट्स तैयार करते हैं।
दीपक रावत उस समय हैरान रह गए जब उन्हे पता चला कि प्राधिकरण के अधिकारी उन्हे खुद बुलाते हैं और हर महीने जोशी जी को 20 हजार रुपए भी दिए जा रहें हैं।
आला अधिकरियों को भी जानकारी
बताया जा रहा है कि जोशी जी के दफ्तर आने और कामकाज निपटाने के बारे में प्राधिकरण के आला अधिकारियों को भी जानकारी है लेकिन वो भी आंखों पर पट्टी बांधे रहते हैं।
अब दीपक रावत ने अधिकारियों को ही नोटिस जारी कर दिया है और उनसे पूछा है कि एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को क्यों कार्यालय में काम के लिए बुलाया जा रहा है और उसे किस मद से भुगतान किया जा रहा है।