कोरोना काल में देश में 382 डाक्टरों की मौत हो गई। आईएमए ने इन डाक्टरों की सूची जारी कर सरकार से इन डाक्टरों को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग की है। आईएमए ने यह सूची तब जारी की है जब सरकार ने संसद में कहा था कि उसके पास कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले या इस वायरस से संक्रमित होने वाले डाक्टरों और अन्य स्वास्थ कर्मियों का कोई डाटा नहीं है।
आइएमए ने प्रेस रिलीज में कहा, ‘अगर सरकार कोरोना संक्रमित होने वाले डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों का का डेटा नहीं रखती तो वह महामारी एक्ट 1897 और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू करने का नैतिक अधिकार खो देती है। एक तरफ सरकार डॉक्टरों को कोरोना वॉरियर कहती है और दूसरी तरफ इनको शहीद का दर्जा देने से मना किया जाता है।’
संसद के मानसून सत्र में एक सवाल के जवाब में संसद के मानसूत्र में स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने कहा था कि केंद्र सरकार के पास कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले डॉक्टरों के आंकड़े नहीं हैं क्योंकि स्वास्थ्य का मामला राज्यों के अंतर्गत आता है और केंद्रीय स्तर पर ये आंकड़े नहीं जुटाए जाते। इससे पहले स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी अपने बयान में जान गंवाने वालों डॉक्टरों का कोई जिक्र नहीं किया था।
अश्विनी चौबे के बयान का जिक्र करते हुए एसोसिएशन ने कहा, इंश्योरेंस कंपंसेशन का डेटा केंद्र सरकार के पास नहीं है, यह कर्तव्य का त्याग और राष्ट्रीय नायकों का अपमान है जो अपने लोगों के साथ खड़े रहे. एसोसिएशन ने केंद्र सरकार से महामारी के दौरान जान गंवाने वाले डॉक्टरों के परिवार को मुआवजा देने के साथ ही उन्हें शहीद का दर्जा देने की मांग भी की है।