किच्छा(मो. यासीन)- मा-बाप को और चाहिए भी क्या, उनकी बस यही ख्वाहिश होती है कि उनके बच्चों का भविष्य संवर जाये। लेकिन देवभूमि में मूलभूत सुविधाओं से वंचित सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छुपी भी तो नहीं है। जिन बच्चों के ऊपर देश का भविष्य टिका हुआ है, आज उन्ही बच्चों की जान खतरे में है.
शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही देखनी हो तो जिस जिले से सूबे के शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डे आते है उसी जिले जिला मुख्यालय से महज 15 किमी दूर किच्छा के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बण्डिया भट्टा में आ जा जाईए। इस विद्यालय का निर्माण 2012 मे ही 11 लाख 72 हजार रूपये की कीमत से कराया गया था लेकिन निर्माण के कुछ वर्षो बाद ही विद्यालय की स्थित बद से बदतर हो गई जिसके लिए कई बार स्थानीय समाजसेवी ने एसडीएम के माध्यम से शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सम्बोधित ज्ञापन तो सौंपे, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी कुंभकरण की नींद में सोए रहे। अगर जल्द ही प्रशासन ने सुध नहीं लिया तो कोई बड़ी अप्रिय घटना हो सकती है।
इसके साथ ही अध्यापकों द्वारा बच्चों को पता नहीं क्या शिक्षा दी जा रही है कि बच्चो को प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री, राज्यपाल तो छोडिए शिक्षा मंत्री साहब का नाम तक बच्चों को पता नहीं है, जोकि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े करता है।
सरकार हमेशा से अच्छी औऱ बेहतर शिक्षा का गुणगान करती आई है औऱ हमेंश से गांव में बेहतर शिक्षा पहुंचाने की बात करती है लेकिन इन दावों की पोल खुलती देखनी है तो ये देख लिजिए पता चल जाएगा मंत्री जी कितने सचेत हैं शिक्षा को लेकर.