देहरादून-एनएच 74 हाईवे मुआवजा मामला सूबे की टीएसआर सरकार के लिए गले की फांस बन गया है। दरअसल त्रिवेद्र रावत ने मुख्यमंत्री बनने के बाद हर मंच से ‘जीरो टॉलरेंस’ की बात कही। सीएम टीएसआर ने राज्य में सुर्खियां बना एनएच 74 हाईवे मुआवजा मामले की जांच के लिए आनन-फानन मे सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी। उसके बाद सीएम ने राज्य में मजबूत लोकायुक्त बनाने की बात कही।
ऐसे में लोगों की उम्मीद टीएसआर सरकार से ज्यादा बढ़ गई। लगने लगा कि टीएसआर भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम को अंजाम तक पहुंचा कर ही दम लेंगे। लेकिन न जाने फिर क्या हुआ,लोकायुक्त बिल पर प्रवर समिति का गठन हो गया जबकि NH74 मुआवजे मामले में सीबीआई जांच ठंडे बस्ते में समाती दिखी। आज आलम ये है कि ‘जीरो टॉलरेंस’ और भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘धर्मयुद्ध जारी रहेगा‘ की बात करने वाले सीएम त्रिवेंद्र रावत बैकफुट पर ही दिखाई दे रहे हैं।
हालांकि NH74 मुआवजा घोटाले मामले को लेकर तो विपक्ष ने खूब-शोर-शराबा भी किया। जिस पर सरकार ने कहा कि सीबीआई को जांच मे तेजी लाने के लिए तीसरी दफे रिमाइडर भेजा जाएगा। लेकिन हुआ ये कि उससे पहले ही केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री के एक खत का मजमून मीडिया मे उछल गया।
जिस पर केंद्रीय मंत्री ने NH74 मामले मे सीबीआई जांच को अधिकारियों के मनोबल को तोड़ने वाला करार दिया गया। ऐसे में माना जा रहा है कि सीएम त्रिवेंद्र रावत जीरो टॉलरेंस की बात कर डबल इंजन की सरकार में पिस से गए हैं।
केंद्रीय मंत्री के खत के बाद सीएम की दिल्ली रवानगी पर कयास लगाए जा रहे हैं कि, सीएम अपनी इज्जत बचाने के लिए आलाकमान के दरबार में गए हैं। ताकि ‘जीरो टॉलरेंस’ पर राय मिल सके और भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘धर्मयुद्ध’ जारी रहेगा या नहीं इस पर निर्देश मिल सकें।
गौरतलब है कि NH74 मामले में नेता प्रतिपक्ष ने सूबे की सरकार पर आरोप लगाया था कि सरकार बड़ी मछलियों को बचाने की कवायद में जुटी है। जिस पर सरकार ने कहा था कि उनके राज में मछलियां तो पकड़ी जा रही हैं चाहे छोटी ही क्यों न हों।
बहरहाल दिल्ली से वापसी के बाद ये तय हो जाएगा कि सीएम या तो मजबूती के साथ जीरो टॉलरेंस की बात करते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ धर्मयुद्ध जारी रखेंगे या मौके कि नजाकत को भांपते हुए खुद ही अपने तरकश के तीरों की धार कुंद कर देंगे।