ब्यूरो- अगर आप रसोई गैस में खाना बनाते हो तो ये खबर आपके मतलब की है। दरअसल केंद्र की भाजपा नीत सरकार ने अटल जी के बनाए उत्तराखंड को संवारने की पहल करते हुए उसके हिस्से के मिट्टी के तेल कोटे में जबरदस्त कटौती की है।
अप्रैल से जून तक के लिए जारी कोटे में 14 लाख लीटर से ज्यादा की कटौती की है। इससे पहले मार्च तक उत्तराखंड को 81 लाख लीटर कैरोसिन का कोटा जारी होता था। लेकिन अब केंद्र की ओर से अप्रैल से जून के लिए 66.42 लाख लीटर कैरोसिन कोटा जारी किया गया।
केद्र की इस कटौती के पीछे उत्तराखंड में रसोई गैस कनेक्शनों की तादाद है। दरअसल तय मानकों के मुताबिक जिस परिवार के पास रसोई गैस कनेक्शन होगा उसे कैरोसिन देने का प्रावधान नही है।
सूबे में 24 लाख राशन कार्ड हैं जिनमें से 23 लाख राशन कार्ड धारकों के पास रसोई गैस कनेक्शन है। लिहाजा केंद्र सरकार बचे हुए एक लाख परिवारों के लिए ही कैरोसिन कोटा जारी करेगी। माना जा रहा है कि ये कटौती लगातार जारी रहेगी।
बहरहाल बड़ा सवाल ये है कि विषम भौगोलिक परिस्थितयों वाले उत्तराखंड राज्य में दूर-दराज के इलाकों में रसोई गैस वाजिब दाम में समय पर हासिल करना एक बड़ी चुनौती रहती है।
दूर दिल्ली में बैठी केंद्र सरकार को शायद ही मालूम हो कि टिहरी जिले के घनसाली विकासखंड के भेटी जैसे सैकड़ों गांव ऐसे हैं जहां ग्रामीणों को गैस लेने मीलों दूर का सफर करना पड़ता है और चालीस से पचास रूपए ज्यादा गैस सिलेंडर के लिए चुकाने पड़ते हैं।
अपनी रसोई में पहुंचाने के लिए सौ-दो सौ रूपए किराया भी देना पड़ता है। तब कहीं जाकर केंद्र सरकार के धूम रहित सपने को वे ग्रामीण सच कर पाते हैं। ऐसे एक गांव नहीं बल्कि सैकड़ों गांव हैं जहां ग्रामीण इस तकलीफ से हर महीने दो चार होते हैं। उन्हें सिलेंडर तय दाम से कहीं ज्यादा का पड़ता है।