नई दिल्ली- एम्स में इलाज के लिए जाएं तो जरा सतर्क रहें। ऐसा न हो कि मरीजों की भारी भीड़ देखकर जल्द इलाज की उम्मीद में फर्जी डॉक्टरों के चक्कर में फंस जाएं। क्योंकि एम्स में फर्जी डॉक्टरों का खूब बोलबाला है। मंगलवार को एक फर्जी डॉक्टर की गिरफ्तारी से देश के इस सबसे बड़े अस्पताल की व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
पहले भी पकड़े जा चुके हैं फर्जी डॉक्टर
गौरतललब है कि यहां पहले भी कई फर्जी डॉक्टर पकड़े जा चुके हैं। पिछले साल फरवरी में दो फर्जी डॉक्टर पकड़े गए थे। 24 फरवरी 2017 को एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव पकड़ा गया था जो खुद को एम्स का डॉक्टर बता रहा था। पूछताछ में पता चला कि वह दवा कंपनी में नौकरी करता है। इससे पहले 3 फरवरी 2017 को भी एक फर्जी डॉक्टर पकड़ा गया था।
उठाते हैं सिस्टम में खामी का फायदा
एम्स रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विजय गुर्जर ने कहा कि ऐसे लोग अस्पताल में भीड़ अधिक होने का फायदा उठाते हैं और खुद को संस्थान का डॉक्टर बताकर आसानी से किसी भी विभाग के ओपीडी या इमरजेंसी में प्रवेश पा जाते हैं। इसका कारण यह भी है कि पहचान पत्र की कड़ाई से जांच नहीं होती। रेजिडेंट डॉक्टरों के पास गले में लगाकर रखने वाला पहचान पत्र भी नहीं होता। सिस्टम में इस तरह की खामी का ये लोग फायदा उठाते हैं।
पैसा वसूलते हैं ऐसे लोग
डॉ. विजय गुर्जर ने कहा कि राम किशन गुप्ता नामक फर्जी डॉक्टर जिस महिला मरीज को अपने साथ लेकर इलाज के लिए पहुंचा था उसे अपनी मकान मालकिन बता रहा था। ऐसे लोग मरीजों को जल्दी इलाज कराने का आश्वासन देकर पैसा वसूल करते हैं।