उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने राज्य कर्मचारियों के लिए नियमावली में बदलाव कर दिया है। अब आराम की नौकरी करने का सपना शायद सपना ही रह जाए। दरअसल उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने प्रमोशन की नियमावली में बदलाव कर दिया है। अब दुर्गम में जाने के डर से प्रमोशन न लेना अनुशासनहीनता मानी जाएगी। त्रिवेंद्र सरकार ने ऐसा काम किया है कि सुगम और अपने हिसाब के आरामदायक स्थान पर नौकरी करने का सरकारी कर्मचारियों का पैंतरा अब काम नहीं करेगा। इसके लिए कई कर्मचारी डीपीसी से पहले प्रमोशन छोड़ने का लिखित अनुरोध कर देते थे। दरअसल प्रमोशन में उनका तबादला भी होना तय था। अक्सर ये तबादले दुर्गम इलाकों में होते थे। तो दुर्गम में नौकरी न करनी पड़ी तो कर्मचारी अपना प्रमोशन भी छोड़ देते थे। चूंकि कोई स्पष्ट आदेश नहीं था लिहाजा कर्मचारी का प्रमोशन स्थगित भी नहीं होता। ऐसे में होता ये था कि ऊपर का अधिकारी प्रमोशन लेता नहीं था, ट्रांसफर होता नहीं था तो वो जहां है वहीं जमा रहता था। इससे उसके नीचे के अधिकारी भी प्रमोशन नहीं ले पाते थे क्योंकि उनके ऊपर की कुर्सी खाली ही नहीं होती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा।
उत्तराखंड में अब प्रमोशन से इंकार करना अनुशासनहीनता होगी और अगर दो बार अनुरोध कर दिया तो वरिष्ठता चली जाएगी। यही नहीं, सरकार ने जो नई नियमावली बनाई है उसके अनुसार नीचे के अधिकारी को पदोन्नती से खाली हुई कुर्सी दे दी जाएगी। यानी सीनियर ने दुर्गम में तबादले के डर से प्रमोशन छोड़ा तो जूनियर अधिकारी सीनियर बन जाएगा। यही नहीं अगर कार्मिक ने प्रमोशन से पहले प्रमोशन छोड़ने का अनुरोध किया तो इसे ट्रांसफर एक्ट की धारा 18 (2) के तहत कार्य में दिलचस्पी न लेना माना जाएगा।
त्रिवेंद्र सरकार ने इस नियमावली को तैयार करने में खासा वक्त दिया है। सरकार ने पूरी तैयारी की है। इसी का नतीजा है कि सरकार ने प्रमोशन के बाद कार्मिक को नए स्थान पर तैनाती के लिए सिर्फ 15 दिन का समय दिया है। अपरिहार्य परिस्थितियों में 15 दिनों का और समय दिया जा सकता है।