गर्मी में एंबुलेंस में ही तड़पता रहा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसके बाद एम्बुलेंस चालक मरीज को लेकर करीब सवा 11 बजे राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश पहुंचा। यहां कोरोना के भय से अस्पताल स्टाफ ने मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया। फोन पर अस्तपाल में मौजूद डॉक्टर की डॉ. जगदीश जोशी से बात कराई। उन्हेेंने बताया भी कि मरीज का नरेंद्रनगर स्थित श्रीदेव सुमन राजकीय चिकित्सालय के लिए चला है। बावजूद इसके अस्पताल स्टाफ ने मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम में करीब एक घंटा बीत गया और मरीज उमस भरी गर्मी में एंबुलेंस में ही तड़पता रहा। इसके बाद मरीज को लेकर एम्स अस्पताल पहुंचा, लेकिन यहां गार्ड्स ने मुझे गेट पर ही रोक दिया। एंबुलेंस को पीछे करवाकर एक लंबी सी गाड़ी को रास्ता देने को कहा गया। तभी एक साहब से दिखने वाले व्यक्ति ने गार्ड से पूछताछ की। इसके बाद उन्होंने गेट पर ही फरमान सुना दिया, हम इस मरीज को अपने यहां भर्ती नहीं कर सकते।
श्रीदेव सुमन राजकीय चिकित्सालय गया
इसके बाद डॉ. जगदीश के आदेश पर मरीज को लेकर नरेंद्रनगर स्थित श्रीदेव सुमन राजकीय चिकित्सालय के लिए चला। मरीज की हालत लगातार बिगड़ रही थी। उसे नरेंद्रनगर स्थित अस्पताल लेकर पहुंचा, लेकिन वहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मरीज को मृत घोषित किए जाने के बाद अस्पताल प्रशासन ने इसकी सूचना पुलिस को दी तो मौके पर एक उपनिरीक्षक और एक होमगार्ड पहुंचे। उन्होंने पंचनामा तो नहीं भरा, उल्टा चालक के साथ यह कहते हुए बदसलूकी और गाली-गलौच की कि मैं मुर्दे को लेकर यहां क्यों आया हूं। इसके बाद मरीज के शव को लेकर वापस थाना मुनिकीरेती पहुंचा, जहां पुलिस ने मरीज का पंचनामा भरा।
लापरवाही छिपाने का आरोप
एम्बुलेंस चाक का कहना है कि मैंने थानाध्यक्ष आरके सकलानी को पूरे घटनाक्रम के बारे में लिखकर दिया है। यह भी लिखा कि मैं सुबह से भूखा-प्यासा पहले मरीज और फिर उसके शव को लेकर भटक रहा हूं, लेकिन नरेंद्रनगर पुलिस की ओर से मेरे साथ दुव्र्यहार किया गया। एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरीश थपलियाल का कहना है कि मंगवार को इस तरह का कोई मामला अस्पताल प्रशासन के संज्ञान में नहीं आया है। इस पर एंबुलेंस के चालक विरेंद्र सिंह का कहना है कि यदि वह झूठ बोल रहा है तो एम्स प्रशासन गेट पर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज चेक करा सकता है। उन्होंने एम्स प्रशासन पर अपनी लापरवाही छिपाने का आरोप लगाया।
इस घटना में तो सबसे पहले स्वास्थ्य मंत्री ही सस्पेंड होने चाहिए