देहरादून- सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की दमदार दलीलें अगर नीति आयोग की समझ में आई होंगी तो तय है कि उत्तराखंड के कई पहाड़ी गांव रोप वे से जुड़ जाएंगे। मुमकिन है कि आने वाले वक्त में राज्य को रोप-वे राज्य पुकारा जाने लगे और रोप-वे के सफर को करने के लिए भारी तादाद मे सैलानी उन गांवों की खूबसूरती का भी दीदार कर सकें जो अभी पर्यटन के नक्शे पर दर्ज नहीं हैं।
दरअसल जल जंगल जमीन की पैरवी करते हुए सूबे के सीएम ने नीति आयोग के सामने राज्य के विकास का खाका खींचा है। सीएम ने जल, जंगल और जमीन की बात करते हुए नीति आयोग से कहा कि पहाड़ी राज्य की भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए राज्य को विकास की जरूरत है। जिसमें सबसे अहम है दूर-दूर छितरे गांवों में कनेक्टिविटी बढ़ाने की दरकार । जिसके लिए सड़क और रेल तो हैं ही गांवों को गांवों से जोड़ने के लिए रोप-वे अहम किरदार निभा सकते हैं। सीएम ने इसके लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में संसोधन की जरूरत बताई और रोप-वे को शामिल करने की दलील दी।
देखा जाए तो राज्य में जंगल और बेशुमार झरने होने के चलते छोटी जल विद्युत परियोजना से रोप-वे गांव-गांव में लगाए जा सकते हैं। इससे जहां कुछ स्थानीय बेरोजगारों को गांव के आस-पास ही रोजगार हासिल होगा वहीं गांव की खूबसूरती भी बढ़ेगी और नयापन भी। रोप वे से जल,जंगल और जमीन सभी महफूज रहेंगे और अधिकतम ईको फ्रेंडली होने के चलते का विकास की राह में कोई रोड़ा भी नहीं अटकेगा।
गौरतलब है कि बीते रोज सचिवालय में आयोजित नीति आयोग की बैठक की अध्यक्षता करते हुए ये तर्क सीएम त्रिवेंद्र रावत ने दिए। बैठक में, निदेशक नीति आयोग एस. एस. मीणा एवं सलाहकार डॉ. जे.पी. मिश्रा के साथ सदस्य भारत सरकार बिबेक देबरॉय मौजूद थे।