देहरादून- भाजपा संगठन के लिए टिकट बंटवारा दो धारी तलवार साबित हो सकता है। खासतौर पर तब जबकि इस बाबत कुछ दिनों पहले देहरादून के एक होटल में गुप्त रुप से हुई बैठक में भाजपा के पूर्व विधायकों ने मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना था कि अगर उनके विधानसभा क्षेत्र से टिकट बंटवारे में भाजपा ने उनकी नहीं सुनी, तो वो बगावत कर देंगे। संगठन के पदाधिकारियों ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है, लेकिन बगावत के मुद्दें पर अपने ही नहीं, कांग्रेस से टूटकर भाजपा में शामिल हुए विधायक भी टिकट को लेकर दम साधे हुए है। कांग्रेस में बगावत कर भाजपा में शामिल नरेन्द्रनगर के विधायक सुबोध उनियाल ने कम से कम साफ कर दिया है, कि वो नरेन्द्रनगर सीट छोड़ने वाले कतई नहीं है।
समस्या केवल कांग्रेस से आएं तोड़कर भाजपा में शामिल हुए नेता ही नहीं है, बल्कि वो कर्मठ पुराने भाजपा नेता व पूर्व विधायक भी है, जिन्होने भाजपा संगठन की चुनाव से ऐन मौके से पहले मुश्किलें बढ़ा दी है। प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट बगावत की बात तो नहीं मानते है, अलबत्ता ये ज़रुर स्वीकारते है कि इस तरह की बैठक देहरादून में हुई थी। अजय भट्ट कहते है कि बैठक में शामिल पूर्व विधायकों की उनसे बात हुई, और उन्होने ऐसी किसी भी बगावत से इंकार किया है। हालांकि इसे अनुशासन हीनता की परिधि में भी रखने से अजय भट्ट गुरेज़ कर रहे है। अजय भट्ट ने स्वीकार किया कि अभीतक किसी को नोटिस नहीं भेजा गया है, कुछ नेताओं से स्पष्टीकरण ज़रुर मांगा गया है। सुबोध उनियाल के मुददें पर अजय भट्ट ने कहा कि पार्टी में शामिल होने को लेकर कोई भी वादा भाजपा ने उनसे नहीं किया है। अब जिसे चुनाव लड़ना है वो लड़े, उसे भाजपा नहीं रोक सकती है।
बहरहाल अजय भट्ट भी भाजपा के उभर रहे बगावत के संकेतों को समझ चुके है। कार्यकर्ता बिदक न जाएं इसलिए नोटिस की कार्रवाई से घबरा रहे हैं। अनुशासनहीनता के मुद्दें पर भी उनकी चुप्पी साफ संकेत दे रही है कि वो इस मौके पर कोई नया बखेड़ा खड़ा नहीं करना चाहते हैं। बहरहाल ये तय है कि भाजपा के पूर्व विधायकों के टिकटों के बंटवारें में अगर कोई खेल होता है, तो भाजपा के मिशन 2017 के मनसूबों पर पानी फिर सकता है।