देहरादून- किसी भी राज्य के सचिवालय आईएएस और पीसीएस अधिकारियों की काबलियत के लिए जाने जाते हैं। ज्यादातर महकमों को संभालने की जिम्मेदारी सचिव स्तर पर IAS और वरिष्ठ PCS अधिकारियों को ही सौंपी जाती है। हालांकि कभी-कभार कुछ विशेष परिस्थितियों पर ऐसा भी देखा गया है कि वन सेवा या पुलिस सेवा या फिर दूसरी सेवाओं के आलाधिकारियों को भी सचिवालय में अपर सचिव के पद पर तैनात किया गया है है।
लेकिन ऐसा तब होता है कि दूसरी सेवा के अधिकारी या तो विलक्षण ज्ञानवान क्षमता के स्वामी हों या फिर उनकी जबरदस्त सेटिंग हो और सरकार ही उनकी पैरोकारी कर रही हो। हालांकि इसका नतीजा ये होता ये है कि सचिवालय अहम के टकरावों का अखाड़ा बन जाता है और आए दिन IAS और PCS अधिकारियों की टीम और गैर संवर्ग के अधिकारियों के बीच जंग चलती रहती है।
उत्तराखंड सचिवालय से खबर आ रही है कि एक बार फिर से सचिवालय में ऐसा ही माहौल बन रहा है। सूबे के सचिवालय में समाज कल्याण महकमें में IFS कॉडर से अपर सचिव बने मनोज चंद्रन, असली IAS अधिकारी रविनाथ रमन के अधीन काम करने राजी नहीं हैं। खबर है कि वन सेवा से रहमोकरम पर सचिवालय में नौकरी बजा रहे मनोज चंद्रन को सूबे के तेज तर्रार आईएएस अधिकारी रविनाथ रमन के आदेशों का पालन करने से ऐतराज है।
ऐसे मे चंद्रन ने कार्मिक विभाग को अपने ग्रेड पे का हवाला देकर सचिव बनाने के लिए खत लिखा है। गौरतलब है कि सरकार ने राजभवन और गृह विभाग मे सचिव पद पर तैनात रविनाथ रमन को समाज कल्याण का प्रभारी सचिव भी बनाया है। हालांकि रमन ने अभी समाज कल्याण का दायित्व नहीं लिया है। लेकिन उससे पहले मनोज चंद्रन ने बखेड़ा खड़ा कर दिया है।
जिस पर कार्मिक विभाग ने ही कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए तर्क दिया है कि अगर ग्रेडपे ही सचिव बनने का पैमाना है तो फिर भारतीय प्रशासनिक सेवा की कोई जरूरत नहीं है। विभिन्न महकमों से बड़े ग्रेड पे वालों को सचिवालय में सचिव पद पर तैनात कर दिया जाए।
खबर ये भी है कि मनोज चंद्रन के करीबी अधिकारियों ने कार्मिक विभाग को अपनी सख्त टिप्पणी हटाने के निर्देश दिए हैं। जिस पर IAS लॉबी को भारी ऐतराज है और उन्होने इस बारे में अपनी यूनियन के पदाधिकारियों के साथ सीएम से भी मुलाकात की है और मौखिक तौर पर सीएम के संज्ञान में अपनी बात रखी है।
हालांकि उत्तराखंड सचिवालय में इससे पहले भी सचिवालय मे एक गैर आईएस को सचिव पद पर तैनात किया गया था। ऐसे में माना जा रहा है कि मनोज चंद्रन की मुराद पूरी हो सकती है हालांकि दिलचस्प बात ये है कि जहां IAS अधिकारी रविनाथ रमन तेज तर्रार अधिकारियों की जमात में शामिल हैं वहीं IFS मनोज चंद्रन पर वन सेवाओं के कुछ दागों के आरोप हैं जिनकी जांच एजेंसियों ने जांच भी की थी लेकिन जांच रिपोर्ट का निचोड़ क्या निकला उसका आज तक किसी को पता नहीं चला।
अब जीरो टॉलरेंस के राज में क्या होगा ये बड़ा सवाल है कि मनोज चंद्रन की मन की मुराद पूरी होगी, या वापस अपने मूल विभाग जाएंगे या फिर काबिल अफसर रविनाथ रमन के आउटपुट को प्रभावित करेंगे!