देहरादून- सचिवालय में बड़े पैमाने पर हुए तबादलों नें सरकार की साख पर सवालिया निशान लगा दिया है। जीरो टालरेंस की बात करने वाले मुख्यमंत्री को ही सचिवालय संघ ने आड़े हाथों लिया है। जी हां सरकार ने लंबे इंतजार के बाद सचिवालय में हाथ रखा और आरोपों के डंक से खुद को डंसवा लिया।
गौरतलब है कि सचिवालय में सरकार ने बड़ा फेरबदल करते हुए 97 समीक्षा अधिकारी, 16 सहायक समीक्षा अधिकारियो समेत सुयंक्त सचिव, उप सचिव, अनुभाग अधिकारी और अनुसचिव जैस पदों पर तैनात 200 कार्मिकों को इधर उधर किया है।
तबादलो की सूची जारी हुई और सचिवालय में उबाल आ गया है।सचिवालय संघ ने डबल इंजन सरकार को खुली चुनौती देते हुए कहा कि थोक के भाव हुए इन तबादलों में नियमों की अनदेखी की गई है।संघ के पदाधिकारियों ने सीधे सीएम के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए गंभीर आरोप दागा है। संघ का आरोप है कि सीएम ने खुद नियम विरूद्ध स्थांतरण की संस्तुति की है।
मुख्यमंत्री की संस्तुतियों के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए सचिवालय संघ ने राज्य के प्रमुख सचिव से मुलाकात कर नियम विरूद्ध हुए तबादलों को निरस्त करने की मांग की है।संचिवालय संघ का आरोप हैं कि सालों से मलाईदार विभागों में जमे अधिकारियों को सिर्फ एक साल बाद ही दोबारा उन्ही पदों पर तबादला कर बिठा दिया है। जबकि पहले तय हुआ था कि पांच साल से पहले किसी की भी पुराने विभाग में वापसी नहीं होगी।
जाहिर सी बात है कि अगर सचिवालय संघ के आरोपों में जरा भी दम है तो ये टीएसआर सरकार के दामन पर ऐसा दाग है जो उनकी कथनी और करनी की कलई खोल देती है। वैसे भी जीरो टॉलरेंस तो जीरो टॉलरेंस है।