देहरादून- भगवान केदार के दर पर पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को तकरीबन 14 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ता है। सक्षम तीर्थयात्री पैदल ही सफर करते हैं लेकिन अशक्त भगवान भोलेनाथ के भक्त घोड़े और डंडी-कंडियों का सहारा लेते हैं।
ऐसे मे कई घोड़े और डंडी-कंडी का धंधा करने वाले ‘अतिथि देवो भवः’को न मानकर तीर्थयात्रियों से घोर ग्रहाकों वाला बर्ताव करते हैं। ऐसे धंधेबाजों के चलते उत्तराखंड की साख पर तो बट्टा लग ही रहा है, दूर-दराज से भगवान के दर आए अतिथि अपने आपको ठगा हुआ भी महसूस कर रहे हैं।
बहरहाल मीडिया में भक्तों से मनमानी की रिपोर्ट उठने के बाद मामले को उत्तराखंड मानव अधिकार आयोग ने स्वतः सज्ञान लिया और रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन को 11 मई तक वस्तुस्थित पर रिपोर्ट सौंपने को कहा था। लेकिन समय बीतने के बाद भी आयोग के सामने न तो कोई रिपोर्ट आई, न जिलाधिकारी या उनका कोई प्रतिनिध आयोग के सामने हाजिर हुआ।
ऐसे में आयोग के अध्यक्ष जस्टिज जगदीश भल्ला और आयोग की सदस्य हेमलता ढोंढियाल ने मामले की सुनवाई करते हुए जिला प्रशासन को एक महीने का और अतिरक्त समय दिया है। गौरतलब है कि, अब रुद्रप्रयाग के नए जिलाधिकारी मंगेश घिल्डयाल को इस बारे में मानव अधिकार आयोग को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।