देहरादून- चुनाव कोई भी निर्वाचन आयोग की कोशिश रहती है कि चुनाव में मतदाता ज्यादा से ज्यादा अपने मत का प्रयोग करें…इसके लिए चुनाव के समय निर्वाचन आयोग मतदाताओं से अपने मत का प्रयोग करने के लिए अपील के तौर पर विज्ञापन भी कई तरिके से जारी करता है, लेकिन इस सब के बावजूद अगर निर्वाचन आयोग किसी पोलिंग बूथ की दूरी 7 किलोमीटर दूर तय कर दे, जहां से वोटर अपने मत कराने जाएं तो कोई भी मतदाता 7 किलोमीटर दूरी तय करने से पहले वोट डाल़ने के लिए 100 बार सोचेगा.
जी हां कुछ यही देखने को मिल रहा है निकाय चुनाव के लिए तय किए गए पोलिंग बूथ को लेकर….और वह भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की विधानसभा डोईवाला में।
नकरोंदा का है मामला
दरअसल जो मतदान स्थल की दूरी 7 किलोमीटर दूर तय की गई है, वह देहरादून नगर निगम के वार्ड नम्बर 99 नकरोंदा का मामला है, जो मुख्यमंत्री की विधानसभा डोईवाला के अंतर्गत आता है। सवाल इस बात से भी उठते हैं कि जब मुख्यमंत्री की विधान सभा क्षेत्र में भी निर्वाचन आयोग ने इस तरह की गलतियां की है तो प्रदेश के अन्य विधान सभा क्षत्रों के क्या हाल होगा। कांग्रेस पार्षद प्रत्याशी के पति बुद्धदेव सेमवाल ने इसकी शिकायत भी जिला अधिकारी और निर्वाचन आयोग से की है।
कई और भी है खामियां
नकरोंदा वार्ड में केवल मतदान स्थल की दूरी 7 किलोमीटर की लापरवाही उजागर नहीं हुई है, बल्कि वोटर लिस्ट में कई नाम दो-दो बार अंकित किए गए हैं…साथ ही वार्ड में कई नाबालिग बच्चों के नाम भी वोटिंग लिस्ट में दर्ज किए गए हैं। बुद्ध देव सेमवाल का कहना कि 9 से 14 साल के बच्चों के वोटिंग लिस्ट में नाम आना अपने आप में संदेह पैदा करता है कि कही न कही प्रदेश सरकार के इशारे पर चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है।
मतदान प्रभावित होने की उम्मीद
निर्वाचन आयोग के द्धारा तैयार की गई वोटिंग लिस्ट में जो खामियां है उससे मतदान प्रतिशत में कमी आना लाज्मी है,लिहाजा वोटरों को कैसे मतदान 7 किलोमीटर दूर ले जाकर कराया जाएं ये अपने आप में एक सवाल है। लेकिन वोटर लिस्ट पर सवाल खड़े करने वाले बुद्धदेव सेमवाल का कहना कि अगर जल्द इसका समाधान नहीं निकाला गया तो वह सरकारी तंत्र के साथ निर्वाचन आयोग की लापरवाही हो लेकर कोर्ट की शरण में जाएंगे।