रुड़की- उम्मीद जाताई जा रही है कि आने वाले वक्त में एसी और रूम हीटर की बिक्री में बेहद कमी आ जाएगी। ऐसा भी संभव है कि घरों के तापमान को नियंत्रित करने के लिए इनकी जरूरत ही न पड़े।
क्योंकि जल्द ही देश में ऐसे भवन तैयार होने लगेंगे जिनमें न तो कूलिंग सिस्टम की जरूरत रहेगी और न ही किसी ही हीटिंग सिस्टम की।
उसकी वजह है कि मकान मौसम के अनुकूल खुद-ब-खुद ठंडा होगा और जरूरत के हिसाब से गर्म होगा। रुड़की आइआइटी के साइंटिस्ट और यूनाइटेड किंगडम के वैज्ञानिक मिल कर इस तकनीक पर शोध शुरू करने वाले हैं। इस प्रोजेक्ट को नाम दिया गया है ‘जीरो पीक एनर्जी डिजाइन’।
आइआइटी रुड़की के आर्किटेक्ट एडं प्लानिंग विभाग के प्रो. ई राजशेखर ने बताया इसके लिए भवन के डिजाइन पर शोध करने की जरूरत है। उन्होंने बताया आइआइटी रुड़की के नेतृत्व में केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआइ), आइआइटी दिल्ली और यूनाइटेड किंगडम की बाथ यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का दल संयुक्त रूप से करेगा।
प्रो. राजशेखर ने बताया कि शोध कार्य 2020 तक पूरा किया जाना है। इस प्रोजेक्ट पर करीब 15 करोड़ रुपये खर्च होंगे। उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट के तहत देश के विभिन्न भागों में तापमान का डाटा एकत्रित किया जाएगा। इसके बाद भवन के डिजाइन पर काम होगा। प्रोजेक्ट का उद्देश्य न केवल बिजली की खपत को कम करना है, बल्कि पर्यावरण को बेहतर बनाना भी है।
आइआइटी रुड़की में ‘जीरो पीक एनर्जी डिजाइन’ प्रोजेक्ट को लेकर चार दिसंबर को वैज्ञानिकों की पहली बैठक होगी। प्रो. ई. राजशेखर ने बताया कि बैठक की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।