राम मंदिर का सैकड़ों साल पुराना विवाद आज समाप्त हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि विवादित जगह पर राम मंदिर बनेगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एक और महत्वपूर्ण बात लिखी है। वह हैै 161 साल पहले अयोध्या में दर्ज एक केस। इसमें अयोध्या में दर्ज एक केस को जिक्र किया गया है। कहा गया है कि एक सिख ने विवादित स्थल पर पूजा की थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पेज संख्या 799 में मस्जिद परिसर से निहंग सिंह फकीर का सबूत नाम के उप शीर्षक को दर्ज किया है।
थानेदार थानेदार शीतल दुबे का आवेदन
उसमें लिखा है कि 28 नवंबर 1858 को अयोध्या के तत्कालीन थानेदार थानेदार शीतल दुबे ने एक आवेदन दायर किया, जिसमें कहा गया था कि पंजाब के रहने वाले निहंग सिंह फकीर खालसा ने मस्जिद परिसर के भीतर गुरु गोविंद सिंह के हवन और पूजा का आयोजन किया और परिसर के भीतर श्री भगवान का प्रतीक बनाया। 30 नवंबर 1858 को बाबरी मस्जिद के मोअज्जिन सैयद मोहम्मद खतीब ने स्टेशन हाउस ऑफिसर के समक्ष केस संख्या 884 को दर्ज कराया। जिसमें कहा गया कि निहंग सिख द्वारा मस्जिद परिसर में स्थापित निशान को हटाया जाए।
एक और रिपोर्ट में भी जिक्र
निहंग सिंह मस्जिद में दंगा पैदा कर रहे थे। उन्होंने मस्जिद के अंदर जबरन चबूतरा बनाया था, मस्जिद के अंदर मूर्ति रखी, आग जलाई और पूजा की। उन्होंने मस्जिद की दीवारों पर कोयले के साथ राम राम शब्द लिखे। मस्जिद मुसलमानों की पूजा का स्थान है, न कि हिंदुओं का। इससे पहले भी बैरागियों ने लगभग 22.83 सेंटीमीटर के रामचबूतरा का निर्माण रातोंरात किया था, जब तक कि निषेधाज्ञा आदेश जारी नहीं किए गए थे। आवेदन में कहा गया है कि स्पष्ट रूप से जन्मस्थान का प्रतीक वहां था और हिंदुओं ने वहां पूजा की थी।