हल्द्वानी– फटाफट बनाओ मैगी खाओ,2 मिनट मे भूख भगाओ । बेशक ये जुमला मार्केटिंग के लिहाज से नेस्ले कंपनी के लिये मुफीद साबित हुआ हो लेकिंन सूबे मे मैगी स्वास्थ्य की कसौटी पर खरी नही उतरी है। राज्य खाद्य एवं औषधि विश्लेषण प्रयोगशाला रुद्रपुर मे मैगी का नमूना दूसरी बार फेल हो गया है। लैब की रिपोर्ट के मुताबिक नेस्ले की मैगी मे मोनोसोडियम ग्लूटामेट यानी अजीनोमोटो की मात्रा निर्धारित मानकों से कहीं अधिक पाई गई है। इतना ही नही सनफीस्ट की यीप्पी भी परीक्षण मे सफल नही हुई। यप्पी मे मोनोसोडियम ग्लूटामोट की मात्र जरूरत से ज्यादा मिली है। दरअसल पिछले साल दिसबंर 2015 मे हल्द्वानी के कुछ विक्रय संस्थानों से कई खाद्य पदार्थों के सैंपल लिये गये थे। खाद्य सुरक्षा अधिकारी कैलाश चंद्र टम्टा को मिली रिपोर्ट के मुताबिक रूपनगर एन ट्रेडर्स से मदर डेयरी आइसक्रीम के सैंपल भी फेल हुए हैं। शहर के नवाबी रोड से अमूल्या ब्रांड काजू का जो सैंंपल लिया गया था उसकी रिपोर्ट भी निगेटिव निकली और उसे भी खाने लायक नही पाया गया। जबकि गोरापड़ाव से न्यूट्रीलिव सोया रिफायंड ऑयल का सैंपल भी फेल हो गया और ये तेल मिलावटी निकला। वहीं त्रिलोक नगर नारायण जनरल स्टोर से कृष्णा गोल्ड ब्रांड देशी घी में भी मिलावट पाई गई। ऐसे मे सवाल उठता है आखिर नामी ब्रांड किसकी शह पर जनता भंरोसा तोड़ रहे हैं और उसकी सेहत से खिलवाड़ करने को आमादा हैं। बहरहाल उत्तराखंड मे ऊंची दुकानों के पकवान फीके निकलने का सिलसिला जारी हैं।
ऊंची दुकान फीके पकवान – मैगी फिर हुई उत्तराखंड मे फेल

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