देहरादून : उत्तराखंड में दो मामले सबसे ज्यादा सुर्खियों में है पहला विधायकों की अपनी ही सरकार के प्रति नाराजगी और दूसरी द्वाराहाट से विधायक महेश नेगी का मामला। विधायक महेश नेगी के मामले में बीते दिनों महिला आयोग अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बयान देते हुए कहा कि महिला का डीएनए वाला दावा झूठा निकला। महिला ने कभी बेटी का डीएनए टेस्ट कराया ही नहीं था. वहीं बता दें कि इससे पहले महिला ने पुलिस का कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. वहीं महिला का दावा झूठा निकलने पर उसकी गिरफ्तारी की तैयारी थी। लेकिन नैनीताल हाईकोर्ट ने महिला की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और 12 अक्टूबर तक सरकार से जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। आज शुक्रवार को न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई और वहीं अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी।
विधायक की पत्नी की ओर से मामला रफा दफा करने को पैसे ऑफर किये गए-वकील
आपको बता दें कि विधायक पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि महिला सिर्फ बच्चे के अधिकार के लिए लड़ रही है और उसकी ओर से नहीं विधायक की पत्नी की ओर से मामला रफा दफा करने को पैसे ऑफर किये गए थे। सरकार की ओर से महिला के बच्चे की डीएनए टेस्ट रिपोर्ट को फर्जी करार दिया गया है।
गौर हो की आऱोप लगाने वाली महिला और उसके परिवार के दो सदस्य उसके साथ हाईकोर्ट पहुंचे थे और हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उनके खिलाफ देहरादून के नेहरू काॅलोनी थाने में 9 अगस्त को दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की थी साथ ही अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की भी मांग की गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि देहरादून पुलिस ने उनकी शिकायत तो दर्ज नहीं कि लेकिन दबाब में आकर विधायक की पत्नी द्वारा दी गयी शिकायती पत्र पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। उल्लेखनीय है कि विधायक महेश नेगी की पत्नी रीता ने एफआईआर में बताया है कि द्वाराहाट में पीड़िता व उसके परिजन उनके पड़ोस में रहते हैं और वो अन्य लोगों की तरह अपनी समस्याएं लेकर अक्सर उनके घर आते रहते थे। इसी दौरान महिला ने उनके पति को फंसाया और फोन कर ब्लैकमेल कर रही है कि वो विधायक का राजनीति करियर खराब कर देगी। विधायक की पत्नी ने आरोप लगाया कि महिला 5 करोड़ रुपये की मांग कर रही है।