नैनीताल: सरकारी विभागों में नेशनल, इंटरनेशनल प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर चुके खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी में कोटा नहीं मिलेगा। हाईकोर्ट ने खेल कोटे को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया है। कोर्ट के फैसले से राज्य के खिलाड़ियों और खेल प्रतिभाओं को बड़ा झटका लगा है। हालांकि हाईकोर्ट ने सरकार को कानून बनाने की छूट दी है। अब ये राज्य सरकार को तय करना है कि वो अपने राज्य के खिलाड़ियों को नौकरी में कोटा देती है या नहीं।
मामले की सुनवाई लार्जर बेंच में की जा रही थी। बेंच के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया एवं न्यायमूर्ति आलोक सिंह ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। पिथौरागढ निवासी महेश सिंह नेगी और अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उत्तराखंड के सरकारी विभागों में नेशनल इंटरनेशनल प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर चुके खिलाड़ियों का राजकीय सेवाओं में कोटा निरस्त किया गया है। वह गलत है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि 20 दिसंबर 2011 को जारी विज्ञप्ति के तहत कंप्यूटर आपरेटर के पर पर नियुक्ति दी जाए। उत्तराखंड टेक्निकल बोर्ड आफ एजुकेशन रूडकी ने 20 दिसंबर 2011 को विज्ञापन जारी कर उत्तराखंड ग्रुप सी भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन मांगे थे। याचिकाकर्ता ने खेल कोटे में जनरल श्रेणी में आवेदन किया था। जिसके बाद याचिकाकर्ता को एडमिट कार्ड जाारी कर लिखित परीक्षा में 28 दिसंबर 2012 को बुलाया गया। परीक्षा पास करने के बाद उसे 20 अप्रैल 2013 को टाईपिंग टेस्ट के लिए बुलाया गया।
याचिकर्ता ने याचिका में कहा है कि 30 जुलाई 2013 को फाइनल रिजल्ट घोषित किया गया, जिसमें याचिकाकर्ता का नाम था। लेकिन, अंतिम चयन नहीं किया गया। सूचना अधिकार में जानकारी मांगी तो उसे बताया गया कि 14 अगस्त 2013 को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने क्षैतिज आरक्षण में स्पोर्ट कोटे को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। सुनवाई में बेंचों की राय अलग-अलग होने के चलते इस मामले को लार्जर बेंच को स्थानांतरित किया गया था।