उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने हवाई मार्ग से राज्य में लौटने वाले लोगों के लिए पेड क्वारनंटीन किए जाने की बाध्यता को खत्म कर दिया है। अब हवाई मार्ग से आने वाले लोगों को जबरन पेड क्वारनंटीन नहीं रहना होगा।
नैनीताल हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार, राज्य सरकार और सचिव नागरिक उड्डयन समेत प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश देते हुए कहा कि वो किसी यात्री की सहमति के बगैर उसे पेड क्वारेंटीन सेंटर नहीं भेज सकते।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने हवाई सेवा शुरू होने के साथ ही हवाई यात्रा करने वाले प्रवासियों के लिए पेड क्वारेंटीन की अनिवार्यता लागू कर दी थी। इसके तहत हवाई जहाज से प्रदेश पहुंचने वाले प्रवासियों को पेड क्वारेंटीन सेंटर में भेजा जा रहा था। इसके खिलाफ देहरादून के रहने वाले समाजसेवी उमेश शर्मा ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी।
याचिका में कहा गया कि देहरादून और पंतनगर हवाई अड्डों पर आने वाले यात्रियों को राज्य सरकार जबरन पेड क्वारेंटीन सेंटर में भेज रही है। सरकार इन क्वारेंटीन सेंटर में रहने वाले यात्रियों से आने-जाने समेत खाने का पैसा भी वसूल रही है जो कि सही नहीं है। पेड क्वारंटीन की अनिवार्यता हवाई मार्ग से आने वाले यात्रियों के साथ भेदभाव सरीखा है क्योंकि राज्य में रेल और सड़क मार्ग से आने वाले यात्रियों को निशुल्क क्वारेंटीन किया जा रहा है।
वहीं फ्लाइट से आने वाले लोगों को इसके लिए पैसे देने पड़ रहे हैं। अलग-अलग प्रांतों में फंसे लोग मजबूर होकर हवाई यात्रा कर घर लौट रहे हैं, लेकिन यहां पहुंचने पर सरकार उनका उत्पीड़न कर रही है। इस मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को पेड क्वारेंटीन पर रोक लगाने के निर्देश दिए। हाईकोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकार और सचिव नागरिक उड्डयन से कहा कि वो किसी भी परिस्थिति में यात्री की अनुमति के बिना उन्हें पेड क्वारंटाइन सेंटर ना भेजें।