नैनीताल : हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया और सजा के तौर पर साढ़े तीन लाख का जुर्माना लगाया. दरअसल हाईकोर्ट ने देहरादून जिले के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सतेश्वर शर्मा को जीवनकाल में पेंशन नहीं देने पर बेहद सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार पर साढ़े तीन लाख रुपये जुर्माना लगाने के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की विधवा को एक माह के भीतर 1981 से अब तक की पेंशन का भुगतान करने के आदेश पारित किए हैं।
देहरादून निवासी राजेश्वरी शर्मा ने याचिका दायर की थी याचिका
देहरादून निवासी राजेश्वरी शर्मा ने याचिका दायर कर बताया कि उनके पति सतेश्वर शर्मा ने 1942 में 12वीं की पढ़ाई के दौरान स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया और वह 40 दिन जेल में भी रहे। आंदोलन में हिस्सा लेने की वजह से उन्हें कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया था।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक को भेजा था प्रार्थना पत्र
उनके पति द्वारा पेंशन नियमावली-1975 के तहत स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को दी जाने वाली पेंशन व अन्य सुविधाओं के लिए 1981 में आवेदन किया था। उनके द्वारा राज्य स्तर से लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक को प्रार्थना पत्र भेजे गए।
पति का पिछले महिने हुआ देहांत
उनका कहना है कि उन्हें तमाम स्तरों पर लटकाया गया, जबकि ऐसे अन्य मामलों में पेंशन का भुगतान किया गया था। पेंशन के लिए लंबे समय तक संघर्ष करते-करते याचिकाकर्ता के पति का पिछले साल देहांत हो गया, लेकिन सरकार ने पेंशन पर कोई निर्णय नहीं किया।
94 वर्षीय याचिकाकर्ता के अनुसार जेल अधीक्षक व कई अधिकारियों द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदार होने की पुष्टि करने के बाद भी सरकार द्वारा पेंशन का भुगतान नहीं किया जा रहा है।
न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद पेंशन नहीं देने को याचिकाकर्ता और उसके पति का उत्पीडऩ मानते हुए सरकार को साढ़े तीन लाख हर्जाना याचिकाकर्ता को देने तथा एक माह के भीतर 1981 से अब तक की पेंशन का भुगतान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की विधवा को करने के आदेश पारित किए हैं।