उत्तरप्रदेश से अलग होने के बाद उत्तराखंड में भाजपा की सरकार बनी। और नित्यानंद स्वामी पहले मुख्यमंत्री चुने गए। स्वामी का सीएम कार्यकाल बहुत सूक्ष्म 11 माह 20 दिन तक ही रहा। 9 नवंबर 2000 से 29 अक्टूबर 2001 तक वे सीएम रहे
भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड राज्य में दूसरे मुख्यमंत्री के तौर पर चुने गए। भाजपा के इस वरिष्ठ नेता का कार्यकाल महज तीन माह 30 दिन ही रहा। वे 30 अक्टूबर 2001 से एक मार्च 2002 तक ही सीएम पद पर रहे।
उत्तराखंड में तीसरे मुख्यमंत्री के तौर पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तरप्रदेश के सीएम रह चुके नारायण दत्त तिवारी चुने गए। पिछले सभी सीएम के बजाय इन्होंने सर्वाधिक और पूरा पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। एनडी तिवारी 2 मार्च 2002 से सात मार्च 2007 तक सीएम पद पर रहे।
भुवन चंद्र खंडूड़ी उत्तराखंड के चौथे सीएम चुने गए। उत्तराखंड में भाजपा के कद्दावर नेता और जनता के बीच साफ छवि वाले मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी एक नहीं दो बार सीएम बने। पहली बार 7 मार्च 2007 को 26 जून 2009 तक वे दो साल, तीन माह और 19 दिन तक सीएम रहे। फिर उन्होंने सीएम की सीट गंवानी पड़ी। हालांकि दो साल बाद 11 सितंबर 2011 से 13 मार्च 2012 तक छह माह और दो दिन वे सीएम पद पर एक बार फिर रहे।
एक मामूली शिक्षक से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचने वाले भाजपा नेता रमेश पोखरियाल निशंक दो साल, दो माह और 14 दिनों तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। उनका कार्यकाल 27 जून 2009 से 10 सितंबर 2011 तक रहा।
स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा के बेटे और पूर्व कांग्रेसी नेता विजय बहुगुणा एक साल, 10 माह और 18 दिन तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। इन्होंने 13 मार्च 2012 से 31 मार्च 2014 तक सीएम पद संभाला। हालांकि मार्च 2016 में इन्होंने कांग्रेस छोड़ भाजपा पार्टी ज्वाइन कर ली।
कांग्रेस के कद्दावर नेता और कुशल राजनीतिज्ञ कहे जाने वाले हरीश रावत की मुख्यमंत्री बनने की आरजू 1 फरवरी 2014 में पूरी हुई। हालांकि उतार चढ़ाव भरे इस सफर में उन्होंने अपने कार्यकाल के बीच में राष्ट्रपति शासन भी झेलना पड़ा। लेकिन, फिर उन्होंने सत्ता हासिल की। उनका पहला कार्यकाल 27 मार्च 2016 तक रहा। इस दौरान वह दो साल एक माह और 26 दिन के लिए सीएम रहे। सीएम की कुर्सी उन्हें दोबारा 11 मई 2016 को नसीब हुई। अभी उत्तराखंड चुनाव 2017 के मद्देनजर वे इस पद पर बने हुए हैं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत से जुड़ा स्टिंग प्रकरण सामने आने के बाद केंद्र सरकार के हस्तक्षेप से राज्य में 27 मार्च 2016 से 11 मई 2016 तक एक माह और 14 दिन के लिए राष्ट्रपति शासन काल रहा।