बाजार में बिकने वाले सामानों पर केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग टैक्स लगाती हैं। राज्यों में लगने वाला टैक्स भी एक से दूसरे राज्यों में अलग होता है। अब विधायिका की मंजूरी के बाद इन सभी टैक्सों की जगह सिर्फ एक टैक्स होगा जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवाकर (Goods and Services Tax). जीएसटी लागू होने के बाद इससे अर्थव्यवस्था पर बहुत ज्यादा असर पड़ेगा। रोजमर्रा की कुछ चीजें सस्ती होंगी, तो कुछ महंगी। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसे सामान सस्ते हो सकते हैं, वहीं रेडीमेड गारमेंट और सर्विस टैक्स के दायरे में आने वाली सेवाएं भी महंगी हो जाएंगी। अभी AC रेस्टारेंट से लेकर दूसरी कई सेवाओं पर 15% सर्विस टैक्स लगता है। GST रेट थोड़ा भी ज़्यादा तय हुआ तो ये सभी सेवाएं महंगी होंगी।
दरअसल जीएसटी रेट हर वो प्रोडक्ट जिस पर टैक्स लगता है, उसके रेट को प्रभावित कर सकता है। प्रस्तावित कानून में जीएसटी रेट तय करने का अधिकार जीएसटी काउंसिल को दिया गया है, जिसमें केंद्र और राज्यों की सहमति से इसे तय करने की बात कही गई है। फिलहाल पांच पेट्रोलियम पदार्थों और शराब को इसके दायरे से बाहर रखा गया है, क्योंकि इन दोनों से राज्यों को सबसे ज्यादा कमाई होती है और वो इस अधिकार को फिलहाल छोड़ने को तैयार नहीं हैं।