हेडलाइन पढ़कर आप सोच रहे होंगे की आखिर ऐसे कैसे हो सकता है कि अपनी शादी में दूलहा ही न जाए लेकिन आपको बता दें कि ये बिल्कुल सच है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार छोटा उदयपुर शहर में आदिवासियों के यहां अनोखी शादी करने का रिवाज है. यहां होने वाली शादियों में दूल्हा शामिल ही नहीं होता. नियम के मुताबिक शादी में दूल्हे की जगह उसकी अविवाहित बहन या प्रतिनिधित्व करेगी. अगर बहन नहीं है तो दूल्हे के परिवार की कोई और कुंवारी कन्या दूल्हे की ओर से जाती है। ऐसी स्थिति में दूल्हा घर पर अपनी मां के साथ रहता है लेकिन उसकी बहन दुल्हन के दरवाजे पहुंचती है, उससे शादी करती है और उसे लेकर घर वापस आती है। हालांकि, दूल्हा शेरवानी पहनता है, साफा भी धारण करता है, तलवार भी बांधता है लेकिन अपनी ही शादी में शामिल नहीं हो पाता।
सुरखेड़ा गांववाले के मुताबिक, सारे रिवाज दूल्हे की बहन के ही द्वारा पूरे किए जाते हैं। वो ही मंगल फेरे लेती है। ये प्रथा तीन गांवों में चलती है। इस प्रथा के पीछे माना जाता है कि अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो कुछ नुकसान होगा। वहीं गांव के मुखिया रामसिंहभाई राथवा के मुताबिक कई लोगों ने इस प्रथा को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन फिर उनके साथ बुरा हुआ था। उनके घर में अलग तरह की परिशानियां आने लग गई या तो उनकी शादी टूट गई।