संवाददाता। संध्या और जयराम की बेटी जयललिता का जन्म 1948 में मैसूर में हुआ और सिर्फ 15 साल की उम्र में परिवार को चलाने के लिए उन्होंने फिल्मों का रुख कर लिया। उन्होंने जाने माने निर्देशक श्रीधर की फिल्म ‘वेन्नीरादई’ से अपना करियर शुरू किया और लगभग 300 फिल्मों में काम किया। उन्होंनें तमिल के अलावा तेलुगु, कन्नड़ और हिन्दी फिल्मों में भी काम किया। जयललिता ने धर्मेंद्र सहित कई अभिनेताओं के साथ काम किया लेकिन उनकी ज्यादातर फिल्में शिवाजी गणेशन और एमजी रामचंद्रन के साथ ही आईं। जब राजनीति में आने के बाद एमजी रामचंद्रन बहुत व्यस्त हो गए तो उन्होंने जयललिता के कंधों पर पार्टी के प्रचार का काम सौंप दिया। उस वक्त रामचंद्रन के करीबी सहयोगियों एसडी सोमसुंदरम और आरएम वीरप्पन ने इसका विरोध किया लेकिन बाद में जब 1991 में जयललिता मुख्यमंत्री बनीं, तो वे उनके साथ आ गए। जयललिता ने मुख्य रूप से राजनीति 1984 में शुरू की। उस वक्त इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी और एमजी रामचंद्रन बीमार थे। इसकी सहानुभूति पर सवार जयललिता ने एआईएडीएमके और कांग्रेस का गठबंधन कर लिया और चुनाव में कूद पड़ीं। उधर रामचंद्रन की तबीयत बिगड़ती चली गई और उन्हें इलाज के लिए अमेरिका भेजा गया, जहां 1987 में उनका निधन हो गया। उसके बाद उनकी पत्नी जानकी कुछ दिनों के लिए राज्य की मुख्यमंत्री बनीं। लेकिन जयललिता ने खुद को रामचंद्रन का असली उत्तराधिकारी बताते हुए पार्टी तोड़ दी। विधानसभा चुनाव में उन्हें 23 सीटें मिलीं, जबकि जानकी को सिर्फ एक। 1991 में राजीव गांधी की हत्या हुई। इसके बाद चुनाव में जयललिता ने
कांग्रेस के साथ गठबंधन किया, जिसका उन्हें फायदा पहुंचा। लोगों में डीएमके के प्रति जबरदस्त गुस्सा था क्योंकि लोग उसे लिट्टे का समर्थक समझते थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद जयललिता ने लिट्टे पर पाबंदी लगाने का अनुरोध किया, जिसे केंद्र सरकार ने मान लिया। हालांकि वे हिंदूवादी समझी जाती हैं लेकिन उन्होंने शिव सेना और बीजेपी की कार सेवा के खिलाफ बोला। पहली बार मुख्यमंत्री रहते हुए जयललिता पर कई आरोप लगे। उन्होंने कभी शादी नहीं की लेकिन अपने दत्तक पुत्र वीएन सुधाकरण की शादी पर पानी की तरह पैसे बहाए। उसके बाद उन्होंने उस वक्त के प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव को “नकारा” घोषित कर दिया। अप्रैल 2011 में जब उन्होंने 11 दलों कें गठबंधन ने 14वीं राज्य विधानसभा में बहुमत हासिल किया तो उन्होंने तीसरी बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लीं और मृत्यु पर्यन्त यानी पांच दिसंबर तक तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं रही।