ब्यूरो- धनोल्टी सीट पर कांग्रेस के हाथ में लड्डू ही लड्डू हैं। दरअसल कांग्रेस संगठन ने पीडीएफ के साथ गतिरोध को लेकर 70 सीटों पर पार्टी सिंबल के साथ चुनाव लड़ने के ऐलान किया था। संगठन ने कहा था या तो पीडीएफ कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़े वरना कांग्रेस अपने दावेदार उतारेगी। कई जगह पीडीएफ मान गई और कई जगह नहीं मानी। धनोल्टी सीट भी ऐसी ही सीट थी जहां पीडीएफ के सदस्य रहे प्रीतम पंवार ने कांग्रेस का हाथ थामना मुनासिब नहीं समझा।
नतीजतन कांग्रेस ने मसूरी पालिका के चेयरमैन मनमोहन मल्ल को सिंबल दे दिया।मनमोहन ने नामांकन करवा दिया इस बीच हाईकमान से एक लैटर चला जिसका संदेश था कि कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी मल्ल, प्रीतम पंवार के समर्थन में नाम वापस ले लें। संगठन की मंशा समझते हुए मनमोहन मल्ल ने नाम वापसी से मना कर दिया। ऐसे में बड़ी खूबसूरती के साथ कांग्रेस ने घनोल्टी को अपने कब्जे मे लेते हुए मनमोहन मल्ल के समर्थन में प्रचार में जुट गए हैं। उधर हरीश रावत के दिल मे बसे प्रीतम पंवार भी धनोल्टी में जमे हैं।
तय है कि अगर धनोल्टी के समीकरण मनमोहन मल्ल और प्रीतम पंवार मे से किसी एक पक्ष में गए तो धनोल्टी में कांग्रेस ही जीतेगी। प्रीतम के पक्ष में हाईकमान का लैटर है तो मनमोहन के पक्ष में संगठन। हालांकि होगा क्या ये तो वक्त ही बताएगा। बहरहाल स्थानीय संगठन ने पूरा जोर कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में लगा दिया है। गौरतलब है कि 2012 के चुनाव में कांग्रेस ने बगावत के चलते धनोल्टी सीट गंवाई थी। उस चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी मनमोहन मल्ल के खिलाफ मौजूदा प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने चुनाव लड़ा था। उस चुनाव भाजपा उम्मीदवार महावीर रांगड 12081 मत लेकर जीते थे। जबकि कांग्रेस और बागी दावेदार के कुल मत 21194 थे। जिनमे मल्ल तब दूसरे स्थान पर रहे थे।