हेमकुंट साहिब सिखों का वो धार्मिक स्थल है जहां आने के लिए सिक्ख साल भर तक इंतजार करते हैं…और अब उस दिन का इंतजार खत्म हो गया है…यानि के 25 मई से हेमकुंट साहेब के कपाट खुल रहे हैं….श्रद्धालू देश विदेश के कोने कोने से यहां अपना शीश नवाने आते हैं…हिमालय में बर्फीली झील के किनारे और सात पहाड़ों के बीच स्थित हेमकुंड साहेब का दृश्य बेहद मनमोहक है…सिखों के दसवें गुरू गोबिंद सिंह ने इस पवित्र स्थल का जिक्र दशम ग्रंथ में किया है..श्रद्धालुओं में यहां पहलपी अरदास क लिए प्रतिस्पर्धा बनी रहती है…
माना जाता हा कि…यहाँ पहले एक मंदिर हुआ करता था…जिसका निर्माण भगवान राम के अनुज लक्ष्मण ने करवाया था…सिखों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह ने इस मंदिर में पूजा अर्चना की थी…और बाद में इसे गुरूद्वारा धोषित कर दिया गया….इस दर्शनीय तीर्थ में चारों ओर से बर्फ़ की ऊँची चोटियों का प्रतिबिम्ब विशालकाय झील में अत्यन्त मनोरम एवं रोमांच से परिपूर्ण लगता है…इसी झील में हाथी पर्वत और सप्त ऋषि पर्वत श्रृंखलाओं से पानी आता है…एक छोटी जलधारा इस झील से निकलती है जिसे हिमगंगा कहते हैं… झील के किनारे स्थित लक्ष्मण मंदिर भी अत्यन्त दर्शनीय है..