देहरादून- उत्तराखंड आपदा प्रभावित राज्य है. उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में अगर हल्की सी बारिश ही आ जाए तो तांडव मच जाता है. सड़कें टूट जाती हैं, भूस्खलन से जाम लग जाता है. पहाड़ों से पत्थर गिरने कई दुर्घटनाएं होती है. ऐसे में घायलों को अस्पताल ले जाने के लिए उत्तराखंड में हेली सेवाएं काफी मायने रखती है. लेकिन यहां हाल उल्टा है.
हेलीकॉप्टर मंत्री-विधायकों के लिए हाजिर हो
जी हां उत्तराखंड में अक्सर सीएम उनके पीए औऱ मंत्री-विधायक ही हेली सेवाओं का लाभ लेते आ रहे हैं और उनके लिए हमेशा से हेलीकॉप्टर हाजिर होते हैं. बात तब बिगड़ जाती है जब किसी दुर्घटना में घायल लोगों को उपचार के लिए अस्पताल जे जाना हो या एसडीआरएफ की टीम को रेस्कयू के लिए जाना हो. हाल ही मैं सीएम के पीए हेलीकॉप्टर में अपने परिवार के साथ धूमते दिखे और बतौर उन्होंने फेसबुक पर फोटो भी अपलोड की.
सवालों के घेरे में ही रहती है सरकार
उत्तराखंड की राजनीति में आखिर हो क्या रहा है समझ के परे है. बात चाहे शिक्षा विभाग की हो या परिवहन की, बात चाहे लोगों के लिए लगाए जा रहे जनता दरबार की हो या विधानसभाओं की समीक्षा बैठक की सरकार हमेशा सवालों के घेरे में ही रहती है.
पहली लापरवाही
गौर हो की धूमोकोट बस हादसे में एसडीआरएफ की टीम को हेलीकॉप्टर नहीं मिल पाया था. जिसके बाद मुख्यमंत्री ने आपदा के दौरान प्रदेश में हेली सेवा प्रदान करने वाली कम्पनियों द्वारा त्वरित सेवा प्रदान करने में लापरवाही बरते जाने पर उनके विरुद्ध भी कार्रवाई किए जाने के निर्देश नागरिक उड्डयन विभाग को दिए थे. लेकिन खबर है कि हेली कंपनियों का बकाया भुगतान सरकार नहीं कर पाई जिस कारण उन्होंने ऐसा किया.
दूसरी बार लापरवाही
वहीं आज फिर हेली कंपनी की लापरवाही उस वक्त सामने आई जब उत्तराखंड की मशहूर लोक गायिका को हायर सेंटर रेफर ले जाने के लिए हेलीकॉप्टर हीं पहुंचा और समय पर उपचार न मिलने के काऱण उनका निधन हो गया.
क्या है इसके पीछे का खेल??
आए दिन मंत्री-विधायक हेलीकॉप्टर की यात्रा करते नजर आते हैं. बात चाहे प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट की करें या प्रकाश पंत की. लेकिन जब बात जनता की आती है तो कोई न कोई परेशानी खड़ी हो ही जाती है. इसके पीछे का खेल क्या है औऱ हेली कंपनियों का ऐसे करने का कारण क्या है ये सोचने वाली बात है.