निर्भया गैंगरेप केस में पटियाला हाऊस कोर्ट में सुनवाई टल गई है. निर्भया की मां ने दोषी अक्षय के सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन के खिलाफ याचिका दाखिल की है। फांसी की सजा पाए चार आरोपियों में से एक अक्षय ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दायर की है। इसके खिलाफ निर्भया की मां ने भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। अक्षय ठाकुर की अर्जी पर शीर्ष अदालत ने 18 दिसंबर को सुनवाई का फैसला लिया है।
सुरक्षा कारणों से चारों दोषियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया. इस मामले की सुनवाई के दौरान निर्भया के वकील ने कहा कि फांसी की तारीख तय होनी चाहिए. दया याचिका लगाने से डेथ वारेंट जारी होने का कोई लेना देना नहीं है. दया याचिका लगाने के लिए डेथ वारेंट को नहीं रोका जा सकता.
निर्भया के वकील ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करने जा रहा है, तो वे डेथ वारंट को स्थगित या स्टे कर सकते हैं. बाकी तीन दोषियों की पुनर्विचार खारिज हो चुकी है. उन्हें क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने का अधिकार नहीं है. जज ने कहा कि जब तक पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. तब तक ये कोर्ट डेथ वारेंट जारी नहीं कर सकती. निर्भया के वकील ने याकूब मेमन केस का हवाला दिया. इस पर जज ने कहा कि याकूब मेमन केस में कोई पुनर्विचार याचिका लंबित नहीं थी.
वकील का बड़ा बयान
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए निर्भया केस में दोषियों के वकील एपी सिंह का शुक्रवार सुबह एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने पूछा है कि क्या गारंटी है कि अगर निर्भया के दोषियों को फांसी हो जाएगी तो महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध रुक जाएंगे? गौरतलब है कि न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने हैदराबाद की महिला पशु चिकित्सक के दुष्कर्म के आरोपियों के एनकाउंटर पर भी जवाब दिया। एपी सिंह ने कहा इस एनकाउंटर के बाद से जिस तरह से संसद में बैठे हमारे सांसद ये कह रहे थे कि ऐसे अपराधियों को गोली मार देनी चाहिए, तो यह संविधान का अपमान है।