बाजपुर, (सुबोध गुप्ता)- इंग्लिश मीडियम स्कूलों की दुकाने सूबे में चांदी काट रही हैं। कभी मिशन के तौर पर शुरू हुई ये आंग्लभाषी तालीम के केंद्र कब लूट के संस्थान बन गए किसी को पता ही नहीं चला।
अब जब सिर से ऊपर इनकी लूट का पानी बह रहा है तो सरकार से लेकर अभिभावक तक विरोध जता रहे हैं। हालांकि सूबे के नए शिक्षा मंत्री ने इन पर नकेल लगाने के लिए शिक्षा महकमे के अधिकारियों को निर्देश भी दिया है बावजूद इसके तालीम की इन निजी दुकानों के हौंसले बुलंद हैं। सरकारी आदेश ठेंगे पर।
शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय अगले सत्र की तैयारी कर रहे हैं जबकि उन्ही के जिले की बाजपुर तहसील में निजी स्कूलों ने आतंक मचा रखा है। खंड शिक्षा अधिकारी अभिभावकों को पूर्व में तीन दिन के भीतर लगाम लागने का वादा कर चुकी हैं।
बावजूद इसके अब तक शिक्षा की निजी दुकानों पर लगाम तो क्या हिदायत तक नहीं दी गई। लिहाजा तहसील के निजी स्कूल फीस और किताब से लेकर वर्दी तक खरीदने के लिए अपनी मनमानी थोप रहे हैं। आलम ये है कि खंड शिक्षा अधिकारी निजी स्कूलों के बजाय मीडिया को हिदायत देती हैं।
निजी स्कूलों की बढ़ती मनमर्जी को देखते हुए एक बार फिर लुटे-पिटे अभिभावक लामबंद हुए हैं। लेकिन शिक्षा महकमें के काहिल रवैए को देखकर नहीं लगता कि उनकी फरियाद पर अमल होगा।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सूबे के शिक्षामंत्री अपने इरादों को महकमे के ऐसे लापरवाह अधिकारियों के ऐतबार पर लागू करवा पांएगे, जो अपने पद के बयान की गरिमा का मोल नहीं समझते और न ही उन्हें जनता के दर्द का अहसास होता है।
सवाल ये भी है कि आखिर अपने अधीन सरकारी स्कूलों को तबाह कर चुके अधिकारी निजी स्कूलों की लूट पर अंकुश क्यों नहीं लगा पा रहे हैं। कहीं कुछ दाल में काला तो नहीं।