उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के आला नेताओं में शामिल हरीश रावत की रिटायरमेंट की खबरों के बीच उन्हें पार्टी ने राष्ट्रीय महासचिव पद सौंप दिया है। यही नहीं हरीश रावत को असम का प्रभारी भी बनाया गया है। ऐसा पहली बार है कि उत्तराखंड के किसी कांग्रेस नेता को राष्ट्रीय महासचिव का पद सौंपा गया हो। कांग्रेस की सबसे बड़ी एक्टिंग बॉडी कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) में भी उत्तराखंड की इंट्री काफी दिनों बाद हुई है।
हरीश रावत को राष्ट्रीय महासचिव का पद मिलने के बाद जहां उनके समर्थक खुश हैं वहीं हरीश रावत के सियासी कौशल के खत्म हो जाने की अटकलें लगाने वालों को फिर से सोचने पर मजबूर होना पड़ा है। हरीश रावत ने एक बार फिर साबित किया है कि बढ़ती उम्र के साथ उनका राजनीतिक वजूद और मजबूत हुआ है।
2019 से पहले मिला पद
हरीश रावत को 2019 के चुनावों से पहले संगठन में इतनी बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने से साफ है कि उत्तराखंड का दखल राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ेगा। फिर कांग्रेस ने हरीश रावत पर भरोसा कर ये साबित किया है कि फिलहाल न तो हरीश रावत को रिटायरमेंट दी जा रही है और न ही उनके सियासी कद को कतरने की प्लानिंग है।
राहुल गांधी से करीबी काम आई
हरीश रावत और राहुल गांधी की जुगलबंदी खासी अच्छी है। याद कीजिए तो हरीश रावत के सीएम रहते हुए राहुल गांधी ने केदारनाथ की पैदल यात्रा की थी। कई मसलों पर हरीश रावत और राहुल गांधी को एक साथ एक सुर में देखा गया है। हरीश रावत चूंकि सियासत का रूप भांप लेने में माहिर हैं लिहाजा राहुल गांधी के उपाध्यक्ष रहते हुए ही वो राहुल के बेहद खास लोगों में शुमार हो चुके थे। राहुल गांधी के कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद हरीश रावत को अब राहुल ने रिटर्न गिफ्ट दिया है।
हरीश रावत होंगे चेहरा
खबर उत्तराखंड को मिली जानकारी के मुताबिक हरीश रावत 2019 के लोकसभा चुनावों में उत्तराखंड में सबसे अहम किरदार के तौर पर होंगे। न सिर्फ प्रत्याशियों के चयन में बल्कि सियासी रणनीति में भी हरीश रावत को ही आगे रखा जाएगा।