पूर्व सीएम हरीश रावत ने उत्तराखंड में बनने जा रही एरोसिटी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि हिमालय राज्य होने के नाते उत्तराखंड में टाउनशिप का कोई औचित्य नहीं है। सरकार केवल काल्पनिक बातें कर रही है।
हरीश रावत ने किए एरोसिटी पर खड़े किए सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने इंटीग्रेटेड एरो सिटी को लेकर सरकार पर कई सवाल उठाए हैं। हरीश रावत का कहना है कि हिमालय राज्य होने के नाते उत्तराखंड में टाउनशिप का कोई औचित्य नहीं है और यह सरकार काल्पनिक बातें कर रही है।
डोईवाला में किसान कर रहे हैं आंदोलन
उन्होंने कहा कि विगत कई दिनों से डोईवाला में किसान आंदोलन कर रहे हैं। अगर वहां एरोसिटी का निर्माण होता है तो किसानी और किसान दोनों समाप्त हो जाएंगे। एरो सिटी से गन्ना उत्पादन क्षेत्र भी खत्म हो जाएगा। इससे डोईवाला स्थित चीनी मिल पर भी संकट मंडरा गया है। उन्होंने कहा कि इंट्रीग्रेटेड सिटी से डोईवाला हरिद्वार रायवाला आपस में जुड़ जाएंगे और देहरादून का सारा दबाव दूसरी तरफ चला जाएगा।
बड़े शहरीकरण से समस्याओं का लग जाएगा अंबार
हरीश रावत का कहना है कि बड़े शहरीकरण से समस्याओं का अंबार लग जाएगा। जो कि देहरादून के हित में नहीं है। इंटीग्रेटेड टाउनशिप हजारों लोगों पर रोजी रोटी का संकट गहरा जाएगा। हरीश रावत ने आरोप लगाया कि कुछ चंद पूंजीपतियों को आर्थिक लाभ पहुंचाने की तैयारी भाजपा सरकार कर रही है।
सरकार पूंजीपतियों को आर्थिक लाभ पहुंचाने की तैयारी में
पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि सरकार कुछ विशेष लोगों को इस से फायदा देने की तैयारी में है। ये लोग एक क्षेत्र विशेष के लोग हैं जिनको सरकार संरक्षण दे रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ऑर्गेनाइज प्लान की पक्षधर रही है लेकिन इस ऑर्गेनाइजेशन के विरोध में कांग्रेस पार्टी खड़ी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इसके विरोध में किसी भी हद तक जाने को तैयार है।
एरोसिटी के नाम पर कृषि भूमि को बर्बाद करने की प्लानिंग
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष माहरा का कहना है कि सरकार एरो सिटी के नाम पर कृषि भूमि को बर्बाद करने की प्लानिंग रच रही है। इसके लिए सरकार ने 1100 सौ करोड़ के बजट का प्रावधान भी रखा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से सेंसेटिव जोन में आता है।
इसलिए डोईवाला में एरो सिटी के नाम पर गगनचुंबी इमारतें बनाने का कांग्रेस पार्टी का विरोध करती है। उन्होंने कहा कि कुछ पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने की दिशा में सरकार इस प्रोजेक्ट को लाई है। जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने सरकार से डोईवाला क्षेत्र में बीते डेढ़ साल में हुई जमीनों की रजिस्ट्री की जांच की मांग की है।