देहरादून : जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन के सरगना के नाम के आगे जी लगाने के बाद जहां देशभर की राजनीति में भूचाल आ गया था उस बीच बीते दिन शनिवार को राहुल गांधी रैली करने और जनसभा को संबोधित करने देहरादून पहुंचे जहां उन्होंने चौकीदार चोर है के नारे के साथ पीएम मोदी पर वार किया.
वहीं भाजयुमों के कार्यकर्ता हाथों में मसूद अजहर और राहुल के बैनर लिए जिसमें जी लिखा हुआ था…को लेकर परेड ग्राउंड विरोध करने पहुंचे जहां पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया. वहीं मसूद को जी बोलने और अमित शाह के बयान के बाद हरीश रावत ने अमित शाह को माननीय कहकर पलटवार किया.
हरीश रावत की पोस्ट
हरीश रावत ने फेसबुक पोस्ट के जरिए लिखा कि भाजपा व उसके नेता तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश करने में माहिर है। माननीय अमित शाह जी मसूद अजहर और उसके दुर्दांत आतंकी साथियों को रिहा करने के सवाल को ढकने के लिए बार बार कह रहे हैं कि कांग्रेस के शासनकाल में 25 आतंकी क्यों रिहा किए गए! मैं माननीय अमित शाह जी को बताना चाहता हूं कि ये 25 आतंकी पकड़े भी कांग्रेस शासनकाल में गए थे, सजा भी इनको कांग्रेस शासनकाल में मिली थी और ये सजा पूरी कर चुके थे।
आगे हरीश रावत ने लिखा कि पाकिस्तान को पहली बार मजबूर किया गया कि वो आतंकी घटनाओं में भारत में पकड़े गए अपने नागरिकों को पाकिस्तानी स्वीकार करे। ये भारतीय डिप्लोमेसी की जीत थी जिसकी उस समय समाचार पत्रों ने भी प्रशंसा की। मसूद अजहर की रिहाई के सवाल में और इस सवाल में, इस रिहाई में बुनियादी अंतर है कि इनको सजा दी गई थी इन्होंने सजा भुगती थी और मसूद अजहर को कांग्रेस सरकार ने पकड़ा था और एनडीए की सरकार ने दामाद की तरीके से कंधार पहुंचाया था। उस समय विकल्प कुछ और भी थे, जिन पर काम नहीं किया गया।