हरिद्वार : एक मां अपने बच्चे के ऊपर सब कुछ निछावर कर देती है और मां की ममता के आंचल में बच्चे भी सुरक्षित होते हैं मगर आपको हम दिखाने जा रहे हैं. एक ऐसी मां ममता जिसको देखकर आप भी सोचने पर मजबूर हो जायेंगे कि क्या एक बंदरिया अपनी ममता एक कुत्ते की बच्चे पर लुटा सकती है.
कुत्ते के बच्चे को अपने आंचल में समेटे बंदरिया
हरिद्वार की गायत्री विहार कॉलोनी में ऐसा ही मामला देखने को मिला, जब कॉलोनी के अंदर एक बंदरिया द्वारा 3 दिन के कुत्ते के बच्चे को अपने आंचल में समेटे हैं और उसे छोड़ने को तैयार नहीं थी. मगर कॉलोनी वासियों द्वारा 3 दिन के कुत्ते के बच्चे को बंदरिया की गोद में देखकर वन प्रभाग को इसकी सूचना दी गई. वन प्रभाग द्वारा बंदरिया से कुत्ते के बच्चे का रेस्क्यू कराया गया. मगर 3 दिन का मासूम कुत्ते का बच्चा आखिर कौन उसे पालता इसी को देखते हुए कॉलोनी की एक महिला द्वारा ही उस कुत्ते के बच्चे को गोद ले लिया गया और उसका अब लालन-पालन इस महिला द्वारा ही किया जाएगा.
इस नजारे को देख कॉलोनी वाले भी हैरान
कॉलोनी में इस नजारे को देखकर हर कोई सहम गया क्योंकि बंदरिया कुत्ते के बच्चे को छोड़ने को तैयार ही नहीं थी. कॉलोनी वासियों द्वारा बंदरिया से कुत्ते के बच्चे को छुड़वाने की काफी कोशिश की गई मगर जब कॉलोनी वासी नाकाम हुए तो उनके द्वारा इसकी सूचना वन प्रभाग को दी गई. वन विभाग द्वारा इस कुत्ते के बच्चे को बंदरिया से रेस्क्यू कराया गया और उसके बाद इस कुत्ते के बच्चे को कॉलोनी की निवासी अनु बिष्ट ने गोद ले लिया.
बंदरिया ने कुत्ते के बच्चों को नहीं छोड़ा- स्थानीय निवासी
मौके पर स्थानीय निवासी विपुल का कहना है कि हमें पता चला एक बंदरिया ने कुत्ते के बच्चे को पकड़ा हुआ है, हमारे द्वारा कोशिश की गई मगर उसके बावजूद भी बंदरिया ने कुत्ते के बच्चों को नहीं छोड़ा. इसकी सूचना वन प्रभाव को दी गई उसके बाद वन विभाग की टीम द्वारा कुत्ते के बच्चे को बंदरिया से छुड़वाया गया. कुत्ते के बच्चे की देखभाल करने वाला कोई नहीं था इसलिए उनकी बहन ने कुत्ते के बच्चे को गोद लिया. कहा कि अब कुत्ते के बच्चे की देखभाल हम करेंगे. उन्होंने कहा कि हमें अजीब भी लगा कि बंदरिया से बच्चे को हमने ले लिया क्योंकि बंदरिया कुत्ते के बच्चे को बहुत प्यार कर रही थी. कहा कि मुझे दुख भी हुआ मगर बंदरिया से बच्चों को छुड़ाना था क्योंकि बच्चा 3 दिन का था उसे नुकसान भी हो सकता था.
यह बहुत ही भावनात्मक स्टोरी है-डीएफओ
इस मामले पर वन प्रभाग डीएफओ अकाश वर्मा का कहना है कि यह बहुत ही भावनात्मक स्टोरी है हमारे पास कॉलोनी की ही एक महिला का फोन आया था उनके द्वारा हमें बताया गया कि एक बंदरिया ने एक कुत्ते के बच्चे को पकड़ रखा है और हमारे घर के पास ही वह घूम रही है उनको इस बात का डर था कि बंदरिया कहीं कुत्ते के बच्चे को नुकसान ना पहुंचा दे. इसको लेकर महिला द्वारा हमें सूचना दी गई मेरे द्वारा मौके पर वन प्रभाग की टीम भेजी गई हमारी टीम द्वारा बदरिया से इस कुत्ते के बच्चे को अलग कराया गया. इस कुत्ते के बच्चे का पता नहीं चल सका कि बंदरिया इसे कहां से उठा कर लेकर आई है तो जिस महिला द्वारा हमें फोन किया गया उनके द्वारा ही इस कुत्ते के बच्चे को गोद ले लिया गया है. यह एक अच्छी पहल है की महिला द्वारा इस कुत्ते के बच्चे को गोद लिया गया जिससे उसकी परवरिश अच्छी तरीके से हो स.के बंदरिया द्वारा कुत्ते के बच्चे को अपने गले से लगाना एक भावनात्मक पहलू भी हो सकता है क्योंकि बंदरिया को यह लग रहा हो यह कुत्ते का बच्चा उसी का बच्चा है इसलिए उस बंदरिया द्वारा इस कुत्ते के बच्चे को अपनापन दिया गया जिस तरह से एक मां अपने बच्चे के साथ व्यवहार करती है उसी तरह से इस बंदरिया द्वारा कुत्ते के बच्चे के साथ व्यवहार किया गया और किसी प्रकार की उसे हानि नहीं पहुंचाई गई मगर वह कुत्ते का बच्चा था इसलिए वन प्रभाग की टीम द्वारा बंदरिया से उसका रेस्क्यू कराया गया
मां अपने बच्चे को हर कठिनाई से बचाती है और शायद इसी लिए बंदरिया को भी इस कुत्ते के बच्चे में अपने बच्चे की ममता ही दिखी तभी तो 3 दिन के कुत्ते के बच्चे को इस बंदरिया ने अपने सीने से लगाया और इसको छोड़ने को तैयार नहीं थी मगर वन विभाग की टीम द्वारा इस कुत्ते के बच्चे का रेस्क्यू किया गया अब इस कुत्ते के बच्चे को कॉलोनी की महिला द्वारा ही गोद ले लिया गया अब यह कुत्ते का बच्चा इस महिला के आंगन में ही अपना जीवन व्यतीत करेगा और इसकी देखभाल की पूरी जिम्मेदारी भी यह महिला ही उठाएगी