हरिद्वार : गंगा की अवरिलता और निर्मलता और दिवंगत संत स्वामी सानन्द की मांगों को पूरा करवाने के लिए 179 दिनों से अनशनरत मातृ सदन के संत ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर 25 अप्रैल तक मांगे पूरी नही होने पर 27 अप्रैल से जल भी छोड़ने की घोषणा की है। पत्र की कॉपी प्रधानमंत्री के साथ ही राष्ट्रपति, यूएनओ समेत अनेक लोगों को भेजी गई है. ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद स्वामी सानन्द की मृत्यु के बाद से ही उनकी मांगों के लिए 1दिन से अनशन कर रहे है और इस दौरान वे केवल जल और शहद के ही सेवन कर रहे हैं, मगर अब उन्होंने सरकार की ओर से कोई प्रयास नंही होने पर निराश होकर यह पत्र लिखकर घोषणा की है।
ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द ने कहा कि सरकार की मन्शा गंगा जी की हत्या करना ही है. उन्होंने कहा कि जब 22 जून 2018 से स्वमी सानन्द जी की तपस्या चली उससे पहले ही उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था कि वह अनशन में बैठने जा रहे हैं तब भी कोई एक्शन नहीं लिया गया…उन्होंने कहा कि जब वो अनशन में बैठे थे तब भी अधिकारी खानापूर्ति के लिए आते थे बात करते थे और चले जाते थे. यह दिखाने के लिए की हम बात कर रहे हैं पर जमीनी कोई कार्य नहीं हुआ था और जब सानन्द जिस व्यक्ति को जो आईआईटी के डीन रहे हैं जब इस व्यक्ति की यह लोग हत्या कर देते है तो हम लोगों की हत्या करना तो इनके लिए कुछ नही है फिर भी हम मातृ सदन ने उनको उसी समय वचन दिया था कि अगर आपके शरीर को कुछ होगा तो मातृ सदन आपके आंदोलन को आगे बढ़ाएगा, उनके जाने के बाद मैं बैठा.
मुझे भी सरकार की मन्शा साफ नजर आ रही है-आत्मबोधानन्द
आगे ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द ने कहा कि अब मुझे भी सरकार की मन्शा साफ नजर आ रही है. ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द ने कहा कि उन्होंने सोचा था कि सानन्द जी की हत्या के बाद गंगा जी के लिए जो बलिदान सानंद ने दिया वो खाली नहीं जाएगा लेकिन सरकार में सेंसिटिव नाम की चीज है ही नहीं.
मेरे दूसरे गुरु भाई इस आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे और इस कड़ी को बरकरार रखेंगे-आत्मबोधानन्द
ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द ने कहा कि सरकार यही चाहती है कि किसी तरह मुझे भी मार दे या हरिद्वार के डीएम दीपक रावत हो या प्राइम मिनिस्टर ऑफिस का गांधी जी के विरुद्ध विचारधारा रखने वाला प्रिंसिपल सेकेट्री हो ऐसे लोग चाहते है कि मेरी हत्या हो तो मैं तैयार हूँ. ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द ने कहा कि उन्होंने कल ही इस बात के निश्चित किया है कि 25 अप्रैल 2019 तक मेरी मांगों को नही माना जाता है तो मैं 27 अप्रैल से जल त्याग दूंगा और उसके बाद कोई कुछ सुनेगा नहीं..साथ ही कहा कि अगर जब मेरा शरीर त्याग होगा तो मेरे दूसरे गुरु भाई इस आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे और इस कड़ी को बरकरार रखेंगे।