देहरादून : पूर्व सीएम हरीश रावत हमेशा सोशल मीडिया पर एक्टवि रहते हैं। उनकी पोस्ट तहलका मजा देने वाली होती हैं. वहीं हरीश रावत ने आज हां समय आ गया है कि पार्ट-2 की पोस्ट शेयर की है जिसमे हरीश रावत ने एक लंबी पोस्ट शेयर की है। इस पोस्ट में हरीश रावत सरकाक पर जमकर बरसे औऱ अपनी सरकार के दौरान हुए कामों का बखान किया.
मुख्यमंत्री के पद के सफल निवर्हन में पार्टी की बड़ी भूमिका रहती है-हरीश रावत
हरीश रावत ने माननीयों के मानदेय को लेकर भी सरकार पर सवाल खड़े किए। हरीश रावत ने लिखा कि मुख्यमंत्री के पद के सफल निवर्हन में पार्टी की बड़ी भूमिका रहती है। पार्टी व राज्य के लिये उपयोगी व्यक्तियों की क्षमता का उपयोग व पार्टी कैडर की संतुष्टी दोनों आवश्यक हैं। मैंने मंथनपूर्वक ऐसे छोटे-बड़े पदों का सृजन किया, जहां मैं अधिकतम लोगों की क्षमता का उपयोग कर सकूं। मैंने लगभग तीन हजार ऐसे अवसर सृजित किये, जिसके चलते कई स्तरों पर हमारे कार्यकर्ताओं को शासन के कार्यक्षेत्र को समझने का अवसर मिला। सैकड़ों ऐसे कार्यकर्ताओं ने मुझे बहुत उपयोगी फीडबैक भी दिये। जिसका उपयोग मैं अपनी सरकार की कार्य क्षमता बढ़ाने में कर सका। यह कार्य मैंने सरकार का खर्च बढ़ाये बिना किया। इन दायित्वधारियाों पर वार्षिक खर्च पिछली सरकारों के उच्चतम वार्षिक खर्च से मात्र 4 प्रतिशत अधिक था। मैंने माननीयों का मानदेय का स्तर नियंत्रण में रखा। आज उसे पर्याप्त बढ़ा दिया गया है। दो रावतों में यही अन्तर है। पहले रावत ने दिया भी मगर लोग संतुष्ट कम हुये, दूसरे रावत ने पद भी दिया, धन भी दिया और अपनी पार्टी के साथियों का संतुष्टी जन्य आर्शीवाद भी प्राप्त किया, चाहे राज्य की कीमत पर किया। मैं अपने कार्यकाल में पार्टी को पूर्णतः सन्तुष्ट नहीं रख पाया।
हरीश रावत ने लिखा कि अधिकांश लोग अपने पद व दायित्व से संतुष्ट नहीं थे। मेरी क्षति के बावजूद यदि मैं राज्य के दृष्टिकोण से सोचता हूूॅं तो मैंने अधिकतम पद सृजित किये और ऐसे नये-2 क्षेत्रों में किये, जो क्षेत्र मेरे पद ग्रहण करने से पूर्व अचिन्हित थे। जैसे एपण संवर्धन परिषद, संस्कृति एवं मेला संवर्धन परिषद, बोली-भाषा विकास परिषद, शिल्प विकास परिषद, इन चारों क्षेत्रांे में एक कलात्मक सांस्कृतिक उत्तराखण्ड के संवर्धन के साथ रोजगार सृजन की अपार संभावनायें हैं। एपण उत्तराखण्डी हस्थलाधव का विश्वसंस्करण हो सकता है। सांस्कृतिक मेले पर्यटन के साथ जुड़कर, कमाल कर सकते हैं। नैनीताल के एक राजनैतिक कार्यकर्ता को मैं झील व छोटे बांधों की विकास परिषद का चेयरमैन बनाना चाहता था, उन्हें मेरा प्रस्ताव बादाम की जगह मूंगफली जैसा लगा और उन्होंने स्वाद चखने से इन्कार कर दिया।