Dehradun : हरदा बोले-हमें तो इंदिरा गांधी की कसम है, अगर हम इस गरीब की बात न करें - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

हरदा बोले-हमें तो इंदिरा गांधी की कसम है, अगर हम इस गरीब की बात न करें

Reporter Khabar Uttarakhand
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appnu uttarakhand newsदेहरादून : उत्तराखंड के पूर्व हरीश रावत लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हो गए हैं। हालांकि वो हमेशा से ही सोशल मीडिया के जरिए सरकार पर वार करते रहे हैं और साथ ही उत्तराखंड के व्यंजनों समेत कई उत्तराखंड से संबंधित मुद्दों को सोशल मीडिया पर लिखकर शेयर करते हैं लेकिन इस बार हरीश रावत ने सड़कों पर चल रहे श्रमिकों, पटरी पर लहुलुहान हुए मजदूरों और गरीबों के बारे में लिखा है और भाजपा सरकार के कामों और कांग्रेस से समय के दौरान हुए कामों की तुलना की है।

हरीश रावत की पोस्ट

विस्तारित लॉकडाउन-तृतीय चरण -ग्यारहवाँ दिन

हरीश रावत ने लिखा कि प्रधानमंत्री जी ने देश के नाम संदेश में लॉकडाउन चतुर्थ चरण की भी घोषणा कर दी है। अलबत्ता उसके डिटेल्स 17 मई के आस-पास घोषित हो सकते हैं। प्रधानमंत्री जी ने अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के लिये 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की भी घोषणा की है। उन्होंने पैकेज में उन सभी वर्गों को कुछ न कुछ देने का संकेत दिया है, जो पिछले कई दिनों से चर्चा में हैं। विशेषतः राहुल गांधी जी से हुये अर्थशास्त्रियों के वार्तालाप से इन वर्गों को आर्थिक पैकेज दिये जाने की आवश्यकता, समाचार माध्यमों से राष्ट्रीय चर्चा में आयी है। कांग्रेस कार्यसमिति ने प्रस्तावों व माननीय कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने पत्रों के माध्यम से, प्रधानमंत्री जी का खेत मजदूर, माइग्रेंट वर्कर, रेहड़ी-पटरी वाले, निर्माण कार्यों में लगे श्रमिक, मनरेगा श्रमिकों, घरेलू कर्मकारों सहित असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की दयनीय आर्थिक स्थिति की ओर ध्यान खींचा है।

हरदा ने लिखा कि कांग्रेस पार्टी ने डॉ. मनमोहन_सिंह जी की अध्यक्षता में एक समिति बनाकर #MSME क्षेत्र सहित, उद्योगों व उद्यमों को आर्थिक पैकेज देने की आवश्यकता को उठाया है। यदि प्रधानमंत्री जी द्वारा इंगित पैकेज, उपरोक्त वर्गों व अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को पर्याप्त रूप से समाहित करता है, तो हमें भी अच्छा लगेगा। राहुल जी के साथ अभिजीत बनर्जी साहब की वार्ता में, दो बातें बड़े ही तर्कपूर्ण तरीके से उभरी हैं, वह है गरीबों की खर्च करने की क्षमता बढ़ाना तथा सभी प्रकार के कामगारों को “न्यूनतम्आ मदनी गारंटी योजना” से आच्छादित करने की आवश्यकता। बनर्जी ने तो इस “न्यूनतम आमदनी राशि” को 10000 प्रतिमाह करने की आवश्यकता बताया है। अर्थव्यवस्था को सभालना व रोजगारों की रक्षा व उनमें वृद्धि करना सबकी भावना है़। यह एक सामूहिक सूत्र है, जिसके चारों तरफ हम अपने आर्थिक सोच की भिन्नताओं के बावजूद, एकजुट हो सकते हैं। कांग्रेस सामूहिक समझ की पक्षधर है।

हरदा ने लिखा कि प्रधानमंत्री जी को “मनसा-वाचा कर्मणा” से सामूहिकता के महत्व को स्वीकारना चाहिये। शासन के छटे वर्ष में, माननीय प्रधानमंत्री जी, अब अर्थव्यवस्था व विभिन्न संस्थाओं की कमजोरी के लिये, कांग्रेस पार्टी को दोष नहीं दे सकते हैं। उन्हें अपने प्रथम कार्यकाल के प्रथम 2 वर्षों की शब्दावली में परिवर्तन लाना पड़ेगा। उन्हें यह प्रबल सत्य भी स्वीकार करना चाहिये कि, उनको एक बड़ी छलांग (कोष में, प्रधानमंत्री जी के शब्दों में क्वांटम जम्प) के लिये मजबूत आर्थिक प्लेटफार्म प्राप्त हुआ था। यदि इस विशाल प्लेटफार्म का कोई नट-बोल्ट कमजोर पड़ गया था या है, तो उसे कसने व बदलने के लिये 5 वर्ष की आवश्यकता नहीं पड़नी चाहिये। सत्यता यह है कि, आज कोई आपको संसद में चुनौती देने की स्थिति में नहीं है, जिसमें डॉ. मनमोहन सिंह, दोनों कार्यकालों में थे। डॉ. सिंह को अपने शासन के अंतिम 2 वर्षों में विधाईबाधाक्रम (लेजिस्लेटिव ब्लौकेड) झेलना पड़ा था, वह दुनिया के संसदीय इतिहास में अकल्पनीय हैं। हम तो केवल विपक्ष धर्म निभा रहे हैं। संख्या बल तो दाता ने सब आपकी झोली में डाल दिया है। आप अति सौभाग्यशाली प्रधानमंत्री हैं, जिसकी रक्षा में कई कवच स्वस्फूर्ती तौर पर उपलब्ध हैं। #लोकतंत्र के समस्त #इंस्टीट्यूशन्स, आप पर प्रशंसा के पुष्प बरसा रहे हैं। जब स्वयं #न्यायाधीश, आपके मुखर प्रशंसक हो जाएं, तो आपके भाग्य पर तो दुनिया का हर प्रधानमंत्री ईर्ष्या कर रहा होगा। महोदय यूं भी #अर्थव्यवस्था के गांडीव की प्रत्यंचा तो आपको ही चढ़ानी पड़ेगी। कोरोना से बचाव का रास्ता ढूंढने में देश का नेतृत्व भी आपको ही करना है।

औरंगाबाद में रेल की पटरी पर कटकर मरे मजदूरों के शव व बिखरी हुई रोटियां-हरदा

हरदा ने लिखा कि हम तो आपके समर्थन में खड़े हैं। कभी-कभी हम अपनी उस चिंता को सुझावों का स्वर दे रहे हैं, जो बेबस, लाचार, भूखे, नंगे पांव घर को चल पड़े मजदूरों की आहों से निकल रही है। औरंगाबाद में रेल की पटरी पर कटकर मरे 16 मजदूरों के शव व बिखरी हुई रोटियां, पेट के दर्द को चीख-2 कर बयां कर रही हैं। कौन सा अखबार है, जिसमें हजारों बेबस, लाचारों की पैदल यात्रा के चित्र साया नहीं हो रहे हैं।

हमें तो इंदिरा गांधी की कसम है,हम वो पार्टी हैं-हरीश रावत

हरीश रावक ने लिखा कि हमें तो इंदिरा गांधी की कसम है, यदि हम इस गरीब की बात न करें। हम वो पार्टी हैं, जिसकी #सरकारों ने 2014 तक दुनिया का सबसे विशाल मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग का समूह खड़ा किया है। यह हमारी पार्टी का शासनकाल था, जिसमें 20 करोड़ लोग गरीबी की रेखा से ऊपर आये। क्या हमें इस बात से चिंतित नहीं होना चाहिये व अपने दर्द को नहीं उठाना चाहिये कि, अब पुनः 10-12 करोड़ लोगों के फिर से गरीबी की रेखा से नीचे जाने का डर पैदा हो गया है। हमें मालूम है, देश के सम्मुख कठिन समय है, हम साथ हैं। मगर साथ की अहमियत तो आपको ही स्वीकारनी होगी। हमारे सैद्धांतिक मतभेद बने रहेंगे, मगर इस संकट में एक-दूसरे के साथ मजबूती से खड़े होंगे।

उत्तराखंड व असम में हमारे कांग्रेसजन जनसेवा में लगे हुये हैं। असम के होजई जिले में माननीय सांसद, प्रद्योत बोरदोलोई जी के मार्गदर्शन में युवा कांग्रेस के नेता मुमताज बेगम, जिला अध्यक्ष अजरुल इस्लाम, अपने साथियों के साथ मिलकर जनसेवा में लगे हुये हैं। #उत्तराखंड के किच्छा नगर पालिका में आमिर श्रीवास्तव, गोपाल बिन्दूवासिनी, अनिल चौहान देशपाल, पौड़ी में विशाल कुमार, पंकज कुमार, नीरज कुमार, सुरेश कुमार,अभिषेक कुमार, कैलाश राणा, नरेश राणा, कालू लाल, गणेश राणा, रमेश लाल सब लोग, लोगों की सेवा में जुटे पड़े हैं।

“#कॉलिंगा_मैया_की_जै”

(हरीश रावत)

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