देहरादून : आईएएस षणमुगम मामले की जांच रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव ने शासन को सौंपी जिसमे साफ हुआ कि आईएएस पाक साफ हैं और उनकी कोई गलती नहीं है। जिससे मंत्री रेखा आर्य को जरुर धक्का लगा होगा क्योंकि आईएएस और मंत्री के बीच हुआ विवाद किसी से छुपा नहीं है। ऐसे में आईएएस की पारदर्शिता पर सवाल उठाए जाना लाजमी है ये बाद खुद रेखा आर्य ने भी कही थी कि क्या एक आईएएस दूसरे आईएएस की जांच करेगा तो क्या उसमे पारदर्शिता होगी। वहीं इस पर हरीश रावत ने भी अब सवाल खड़े किए हैं।
हरीश रावत ने त्रिवेंद्र सरकार पर वार करते हुए कहा कि अपरमुख्य_सचिव ने श्री षणमुगम प्रसंग में अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है और शासन द्वारा त्वरित कार्यवाही के तौर पर अपर मुख्य सचिव से कुछ प्रभार हटाये गये हैं। बाहरी तौर पर भले ही सरकार जता रही हो कि प्रभार जोड़ना-हटाना, ये सामान्य शासकीय प्रक्रिया है। मगर रिपोर्ट के सार्वजनिक न होने से इस आशंका को बल मिल रहा है कि अपर मुख्य सचिव ने शासन की भावना के अनुरूप रिपोर्ट तैयार नहीं की और इसलिये एक मैसेज ब्यूरोक्रेसी को दिया गया है कि हमारा संकेत समझा करो, नियम प्रक्रियाएं शासन के सामने गौण हैं। यदि त्रिवेंद्रसिंह जी इस सवाल से बचना चाहते हैं, तो उनको अपर मुख्य सचिव की रिपोर्ट को सार्वजनिक करना चाहिये, क्योंकि ये उनकी लीडरशिप का भी सवाल है। उन्होंने जो जांच के आदेश दिये उसका अर्थ है कि जो दोषी होगा, उस पर कार्यवाही होगी। क्योंकि यह प्रसंग सामान्य नहीं है, जिस सम्मानित मंत्री के विभाग में कोई सचिव काम ही न करना चाहे, ये हमारे राज्य की ब्यूरोक्रेसी और शासन व्यवस्था के दृष्टिकोण से एक चिंतनीय पहलू है, छोटी चीजें बड़ी मिसाल बनती हैं।