देहरादून : हमेशा से लोगों के बीच एक्टिव रहने वाले और सोशल मीडिया के जरिए केंद्र की मोदी सरकार और राज्य पर वार करने वाले पूर्व सीएम हरीश रावत ने एक बार फिर से केंद्र और राज्य सरकार पर हमला किया. इस बार हरीश रावत ने लोकायुक्त को हथियार बनाया औऱ वार किया
हरीश रावत ने सोशल मीडिया में लिखी ये पोस्ट
कहां है जनलोकपाल, कहां है लोकायुक्त!
आज ये सवाल Bharatiya Janata Party (BJP) से कोई नहीं पूछ रहा है? अन्ना हजारे आंदोलन में दुष्प्रचार और जनलोकपाल के समागम से वर्तमान भाजपा सरकार का जन्म हुआ। धन्य हो नरेंद्र मोदी जी, साढ़े चार साल देश को जनलोकपाल से वंचित रखा, अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कुछ कदम उठाए जा रहे हैं। शक है कि इस सरकार के समय तो जनलोकपाल या लोकपाल देश को नहीं मिलेगा।
आगे हरीश रावत ने लिखा कि उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार के वक्त में विधेयक पास हुआ। मैंने उस विधेयक की भावना का अनुसरण करते हुए सर्च कमेटी और दूसरी सारी औपचारिकताएं पूरी कर सर्वसम्मति से लोकायुक्त चयन समिति ने लोकायुक्त और उनके सहयोगियों का चयन किया। गवर्नर साहब के पास अनुमोदन के लिए फाइल भेजी गई, गवर्नर साहब ने हर बार जितनी बार वे कोई ऑब्जेक्शन लगाते थे, हम उसका समाधान करके भेजते थे, वो फिर से ऑब्जेक्शन लगा देते थे।
जब उनके पास ऑब्जेक्शनों का खजाना खाली हो गया, तो माननीय राज्यपाल महोदय ने वो फाइल अपने पास रोक दी। कौन था जिसके प्रभाव में महामहिम राज्यपाल ने #उत्तराखंड को लोकायुक्त से वंचित रखा। आज मुख्यमंत्री कहते हैं कि लोकायुक्त की कोई आवश्यकता नहीं है, उत्तराखंड में भ्रष्टाचार नहीं है, क्या आपको अपने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी के इस बयान पर हंसी नहीं आती है! फिर आप लोकायुक्त नियुक्त करने से डर क्यों रहे हैं? आज भी गवर्नर हाउस में सर्वसम्मति से प्रस्तावित लोकायुक्त का पैनल का प्रस्ताव है, आप चाहें तो उसको स्वीकृति मिल सकती है और उत्तराखंड को कुछ ही दिन में लोकायुक्त मिल सकता है, लेकिन आप तो लोकायुक्त की नियुक्ति से भयभीत हैं इसलिए आप हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि लोकायुक्त के गठन से बचा जा सके