देहरादून : पूर्व सीएम हरीश रावत ने सोशल मीडिया के जरिए विधान परिषद को लेकर एक पोस्ट लिखी है। हरीश रावत ने लिखा कि कल मैंने विधान परिषद के गठन को लेकर एक सुझाव आगे बढ़ाया, वो विशुद्ध रूप से इस समय मेरा निजी विचार है, एक दूसरा मेरा निजी विचार भी है। राजनैतिक स्थिरता के लिए आवश्यक है कि जिला पंचायतों, ब्लॉक प्रमुखों को और अधिकार दिये जाएं और माइक्रो डेवलपमेंट से सम्बंधित कार्यों को पूरी तरीके से पंचायतों के अधिकार क्षेत्र में दे दिया जाय। जैसे छोटे ताल-तलैया आदि की निर्माण से लेकर उनकी सफाई का काम, ग्रामीण क्षेत्रों में नालियों का निर्माण, ग्रामीण क्षेत्रों में पानी निकासी बड़ी समस्या है और उससे कई वाटर जन्य बीमारियां हो रही हैं.
आगे हरीश रावत ने लिखा कि इन कामों के लिये भारी-भरकम विभाग बनाने की आवश्यकता नहीं है, पंचायत इस दायित्व को निभा सकती है। इसी प्रकार से बहुत सारे और काम हैं जिनको अख्तियार के रूप में उन विभागों का नियंत्रण पंचायतों को सौंपा जाना चाहिये। जब अधिकारों विकेन्द्रीकरण होता है तो संतुष्टि का तत्व बढ़ता है।
हरीश रावत ने लिखा कि इस समय राजनीति में प्रत्येक व्यक्ति की धारणा यह है कि विधायक बन जाएंगे तभी हम कुछ कर सकते हैं, कुछ अपनी योगयता का प्रदर्शन कर सकते हैं और समाज को लाभान्वित कर सकते हैं। मेरी धारणा है, किसी व्यक्ति के लिए काम को स्कोप पैदा किया जाए तो छोटे से काम को करके भी आज व्यक्ति राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर सकता है। पंचायतों में प्रतियोगितात्मक भावना पैदा कर पंचायती प्रतिनिधियों के अधिकारों को बढ़ाकर उनसे राज्य के जमीनी स्तर के विकास में पंचायतों का योगदान लिया जा सकता है, इससे उत्तराखंड जैसे बड़े राज्य में जहां शिक्षा और क्षमता, दोनों का स्तर अच्छा है वहां राज्य के हित में हम अधिक से अधिक लोगों की क्षमताओं का उपयोग कर सकते हैं और इससे राजनैतिक स्थिरता का स्तर भी बढ़ेगा। अधिकारों की इस विकेन्द्रीकरण को प्रभावी बनाने के लिए राज्य में पंचायती लोकायुक्त का गठन आवश्यक है ताकि पंचायतों के अधिकार के अतिक्रमण को रोका जा सके।