विकासनगर: भवन निर्माण एवं संनिर्माण कर्मकार बोर्ड (BOWCW) के सचिव पद पर दमयंती रावत की नियुक्ति का मामला फिर से तूल पकड़ता नजर आ रहा है। जन संघर्ष मोर्चा ने इस मामले को फिर से उठाया है। मोर्चो का आरोप है कि सालों बाद भी कोई कर्मचारी अपने मूल विभाग की अनुमति के बगैर कैसी किसी दूसरे विभाग में तेनात रह सकता है। उन्होंने सीधेतौर पर हरक सिंह रावत पर सवाल खड़े किए हैं।
जन संघर्ष मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण शर्मा पिन्नी का कहना है कि श्रम विभाग के अंतर्गत भवन निर्माण एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड (बीओसीडब्ल्यू) में वर्ष 2018 से सचिव पद पर तैनात दमयंती रावत ने बिना अपने मूल विभाग (शिक्षा विभाग) से एनओसी प्राप्त किए श्रम मंत्री से सांठगांठ एवं नजदीकी का फायदा उठाकर बीओसीडब्ल्यू में प्रतिनियुक्ति हासिल की। इससे पूर्व दमयंती वर्ष 2017 से ही अपर कार्याधिकारी, बीओसीडब्ल्यू के पद पर बनी हुई थी।
प्रवीण शर्मा पिन्नी ने कहा कि महत्वपूर्ण यह है कि शिक्षा विभाग से बिना एनओसी प्राप्त किए अन्य विभाग में इन्होंने कैसे प्रतिनियुक्ति हासिल की। जबकि मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री अपने आदेश 9 जनवरी 2018 के द्वारा उक्त प्रतिनियुक्ति संबंधी प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं। बाकायदा सचिव, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने अपने आदेश 16 जनवरी 2018 के द्वारा एनओसी देने से मना कर दिया गया था। हैरानी की बात है कि लगभग ढाई-तीन वर्षों से बिना एनओसी के आज तक सचिव के पद पर बनी हुई हैं, जोकि जीरो टोलरेंस का फर्जी नारा देने वाली सरकार के मुंह पर तमाचा है।
शर्मा ने कहा कि उक्त मामले में न तो आज तक शिक्षा विभाग ने इन को बर्खास्त कर कोई कार्रवाई की और न ही श्रम विभाग ने इनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त की। पूर्व में कृषि विभाग के अधीन इनका प्रतिनियुक्ति मामला भी विवादित रहा। चैंकाने वाली बात यह है कि इस प्रतिनियुक्ति के खेल के पीछे करोड़ों रुपए का बजट ठिकाने लगाना है। उन्होंने आरोप लगाया कि श्रमिकों को करोड़ों रुपए की घटिया साइकिलें, सिलाई मशीन, टूल किट, सोलर लालटेन का वितरण किया गया। इनकी खरीद में भी घोटाला कर करोड़ों की काली कमाई की गई। जन संघर्ष मोर्चों ने सरकार से इस मामले में कार्रवाई की मांग की है।