देहरादून: दिल्ली से लेकर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून तक प्रदूषण हर साल लोगों के लिए दिक्कतें खड़ी कर रहा है। दिल्ली और उससे लगे यूपी के क्षेत्रों में प्रदूषण जानलेवा हो रहा है। आलम यह है कि दिल्ली में तो लोगों ने आॅक्सीजन बार तक खोल दिए हैं, जिनमें लोग आॅक्सीजन लेने जाते हैं। यानि मतलब साफ है कि आने वाले सालों में अगर इसी तरहर चलता रहा, तो प्रदूषण से जीना मुश्किल हो जाएगा। इसी मुश्किल से लड़ने के लिए देहरादून में पिछले तीन सालों से एक जबरदस्त तैयारी चल रही है। जिस दिन ये तैयारी मुक्कमलतौर पर पूरी हो जाएगी। देश में एक नई क्रांति आएगी।
ग्रीन व्हीकल (ईवी)
भारतीय पेट्रोलियम संस्थान पुरानी पेट्रोल-डीजल गाड़ियों को इलेक्ट्रिक व्हीकल में बदलने की तकनीक पर काम कर रहा है। काफी हद तक संस्थान के वैज्ञानिक इस पर काम भी कर चुके हैं। जिस दिन ये काम पूरा हो जाएगा। लोग अपनी पेट्रोल-डीजल कारों को भी ग्रीन व्हीकल (ईवी) में बदल सकेंगे।
आईआईपी में चल रहा शोध
भारतीय पेट्रोलियम संस्थान यानि आईआईपी में पिछले तीन साल से वैज्ञानिक इंटरनल कंबशन इंजन वाली पुरानी गाड़ियों को इलेक्ट्रिक व्हीकल में बदलने के लिए रिसर्च कर रहे हैं। ये कोई आम तैयारी या रिसर्च नहीं है। अगर आने वाले समय में देश में केवल इलेक्ट्राॅनिक गाड़ियों को चलाना ही अलाव होगा, तब उन गाड़ियों का क्या होगा, जो अभी सड़कों पर दौड़ रही हैं। उन्हीं गाड़ियों को कबाड़ होने से बचाने और पर्यावरण को बचाने के लिए यह काम किया जा रहा है।
मारुति 800 और एक मारुति जेन पर प्रयोग
आईआईपी देश के ईंधन आयात और कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने के लिए लगातार रिसर्च कर रहा है। आईआईपी ईवी वाहनों के प्रयोग के जरिए इसे कम करने पर फोकस कर रहा है। संस्थान पुराने पेट्रोल-डीजल वाहनों को ईवी में बदलने को लेकर तेजी से काम कर रहा है। काफी हद तक संस्थान के वैज्ञानिक अपने लक्ष्य के करीब भी पहुंच चुके हैं। ट्रायल के आधार पर मारुति 800 और एक मारुति जेन पर प्रयोग किया गया है।