नोटबंदी के ठीक एक महीने बाद सरकार ने एक और बड़ा फैसला किया है। वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने शुक्रवार को संसद में जानकारी देते हुए बताया कि अब सरकार प्लास्टिक करेंसी लाने की योजना बना रही है। जिसके लिए तैयारियां शुरु की जा चुकी है। प्लास्टिक के नोट छापने के लिए मटिरीयल खरीदा जा रहा है। मेघवाल का कहना है कि प्लास्टिक करेंसी से नकली नोटों पर पाबंदी के साथ ही ब्लैकमनी पर लगाम भी लग सकेगा। दरअसल भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) काफी समय से प्लास्टिक करेंसी लॉन्च करने की योजना बना रहा है। फरवरी साल 2014 में भी सरकार ने संसद को 10 के नोट छापे जाने की योजना की जानकारी दी थी। जिसके फील्ड ट्रायल के लिए 5 शहरों को चुना गया था। जिनमें कोच्चि, मैसूर, जयपुर, शिमला और भुवनेश्वर शामिल हैं। क्या हैं प्लास्टिक करेंसी नोट की खूबियां, आइए जानते हैं-
प्लास्टिक से बने करेंसी नोटों को पॉलीमर नोट भी कहा जाता है।
प्लास्टिक के नोट की औसत उम्र करीब 5 साल होती है, जो कि पेपर के नोट की तुलना में दोगुने से ज़्यादा है।
प्लास्टिक नोट की नकल करना आसान नहीं होता। ऐसे में नकली नोट की गुंजाइश कम रहने का अनुमान है।
ग्लोबल वॉर्मिंग पर भी इसका सकारात्मक असर है। एक अध्ययन के मुताबिक काग़ज़ के नोट की तुलना में प्लास्टिक नोट से ग्लोबल वार्मिंग में 32 फीसदी की कमी आती है।
प्लास्टिक नोट का ट्रांसपोर्टेशन और डिस्ट्रीब्यूशन आसान होता है, वजह है पेपर नोट की तुलना में इनका कम वज़नी होना।
प्लास्टिक नोट नष्ट किए जाने की स्थिति में प्लास्टिक रिसाइकिल हो सकता है जबकि कागज के नोट के संदर्भ में यह सम्भव नहीं है।
सबसे पहले प्लास्टिक करेंसी नोट का चलन ऑस्ट्रेलिया में शुरू हुआ था। साल 1988 में शुरू किए गए इन नोटों का मकसद जाली नोटों का चलन और कालेधन को रोकना था।
आज 20 से ज़्यादा देशों में पॉलीमर नोटों का चलन है, जिनमें ऑस्ट्रेलिया के साथ ही कनाडा, फिजी, मॉरीशस, न्यूज़ीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, रोमानिया और वियतनाम शामिल हैं।