राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने बुधवार को अधिवक्ता परिषद उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश द्वारा ‘‘महिला सशक्तीकरण’’ विषय पर आयोजित वेबीनार में प्रतिभाग किया।
वेबीनार को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में अपनी एक विशेष अहमियत रखती हैं, लेकिन फिर भी कुछ लोग महिलाओं के प्रति संकीर्ण सोच रखते हैं, जिसके कारण समाज में अस्थिरता आ रही है। राज्यपाल ने कहा कि भविष्य में विश्व तथा समाज की समृद्धि व प्रगति में महिलाओं का योगदान और भी अधिक व्यापक होगा।
राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि डिसीजन मेंकिग में महिलाओं की भूमिका अधिक से अधिक बढ़नी चाहिए। विश्व के सर्वांगीण विकास तथा कल्याण के लिए इसकी आधी आबादी को सशक्त करना बहुत आवश्यक है। सरकारी संघों, यूनियनों आदि में महिलाओं की भागीदारी अधिक से अधिक बढ़नी चाहिये। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने से यौन हिंसा तथा घरेलू हिंसा के मामलों में अधिक संतुलित तथा सशक्त दृष्टिकोण विकसित होगा। आज वकालत के क्षेत्र मंे महिलाएं सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। महिला वकील पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए तत्पर दिखती हैं। फौजदारी हो या दीवानी मामलें महिला वकील संवेदनशीलता से कार्य कर रही हैं। राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि वकीलों से अपेक्षा है कि पीड़ित महिलाआंे की कानूनी सहायता के लिये सक्रिय रूप से कार्य करें। घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, दहेज पीड़िता तथा विभिन्न अपराधिक घटनाओं की शिकार महिलाओं की मदद के लिए आगे आये। निर्धन पीड़ित महिलाओं के लिए निःशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध करवायी जाय। राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि महिलाओं को अपने कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाना भी जरूरी है। अधिवक्ताओं का पेशा अत्यन्त पवित्र तथा महत्वपूर्ण है। प्रयास होना चाहिए कि न्याय अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। अधिवक्ताआंे को समाज के कल्याण व प्रगति मंे सहयोग करना चाहिए। युवा वकीलों से अनुरोध है कि उत्तराखण्ड के ग्रामीण पर्वतीय क्षेत्रों में जाकर जरूरतमंद लोगों को अपनी कानूनी सहायता प्रदान करें।
इस अवसर पर न्यायमूर्ति उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय जस्टिस श्री लोकपाल सिंह ने कहा कि महिलाओं को सभी क्षेत्रों में उचित सम्मान तथा अवसर प्राप्त होने चाहिये।