देहरादून: हाईकोर्ट से बार-बार फटकार के बाद भी सरकार मानने को तैयार नहीं है। सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं दिए जाने के लिए विधेयक लाने की पूरी तैयारी में है। सरकार ने चोरी-छिपे, गुप-चुप तरीके से 13 अगस्त को हुई कैबिनेट में इसको लेकर प्रस्ताव भी पास कर लिया, लेकिन उस प्रस्ताव को सार्वजनिक नहीं किया। सरकार के इस फैसले का अब चैतरफा विरोध होना शुरू हो गया है।
हाईकोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास भत्ते के बकाये को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसमें सरकार को करारा झटका लगा था। हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से बाजार रेट पर बकाया भुगतान करने के निर्देश दिए थे। उसके बाद चारों पूर्व मुख्यमंत्रियों ने पुनर्विचार याचिका भी दायर की थी, जिसको हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया था।
उसके बाद तय हो गया था कि अब सरकार अध्यायदेश लाकर या विधेयक लाकर पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं को बरकरार रखेगी। हुआ भी वही। सरकार ने पूर्व सीएम का बकाया तो माफ करने की योजना बनाई ही है। साथ ही उनको कई सुविधाएं देने का प्रस्ताव भी गुप-चुक कैबिनेट से पास करा लिया और अब उसे बाकायदा कानून बनाने की तैयारी में है। इससे साफ हो जाता है कि सरकार की मंशा प्रदेश का आर्थिक बोझ कम करना नहीं, बल्कि अपने लिए सुविधाएं जुटाने की है।