उत्तराखंड में कॉलेजों की मनमानी के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। लेकिन इस बार सरकारी यूनीवर्सिटीज की मनमानी सामने आई है। प्रदेश की सात सरकारी यूनीवर्सिटीज ने बिना अनुमति के ही 134 करोड़ रूपए खर्च दिए। इस गड़बड़ी का खुलासा विधानसभा सत्र के दौरान सदन पटल पर रखी गई वर्ष 2021-22 की लेखा रिपोर्ट से हुआ है।
उत्तराखंड में सरकारी यूनीवर्सिटीज की मनमानी
प्रदेश के सरकारी यूनीवर्सिटीज की मनमानी सामने आई है। प्रदेश की सात सरकारी यूनीवर्सिटीज में 134 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ियां सामने आई हैं। प्रदेश के सात विश्वविद्यालयों ने बिना शासन की अनुमति के ही शिक्षक-कर्मचारी भर्ती करने के साथ ही सेवा विस्तार भी दे रहे हैं। इन्हें करोड़ों रूपए के वेतन का भुगतान किया जा रहा है।
वर्ष 2021-22 की लेखा रिपोर्ट से हुआ खुलासा
सरकारी विश्वविद्यालयों की इस मनमानी का खुलासा विधानसभा सत्र के दौरान सदन पटल पर रखी गई वर्ष 2021-22 की लेखा रिपोर्ट से हुआ है। बता दें कि ये सभी विश्वविद्यालय करोड़ों रुपये वेतन भुगतान कर मान्यता से आने वाले शुल्क से प्रबंधन को अनुचित लाभ पहुंचा रहे हैं।
इन विश्वविद्यालय की गड़बड़ियों का हुआ खुलासा
वर्ष 2021-22 की लेखा रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड मुक्त विवि, आयुर्वेद विवि, पंतनगर विवि, तकनीकी विश्वविद्यालय, कुमाऊं विवि, संस्कृत विवि और दून विवि ने 134 करोड़ बिना शासन की अनुमति के ही खर्च कर दिए।
बता दें कि उत्तराखंड मुक्त विवि ने 86 पदों पर नियम विरुद्ध भर्ती से डेढ़ करोड़ का नुकसान किया है। आयुर्वेद विवि ने आयुष काउंसलिंग का पैसा फर्म के खाते में जमा कराया। कंपनी ने अब तक इसमें से 18.48 लाख रुपये नहीं लौटाए हैं। इसके साथ ही विवि सिक्योरिटी सेवा प्रदाता को उपनल की दरों से 35 लाख रुपये अधिक का भुगतान कर दिया।
बिना अनुमति के खर्च कर दिए 134 करोड़
पंतनगर विवि – पंतनगर विवि ने गलत तरीके से 35 करोड़ का भुगतान किया है। इसके साथ ही क्रय समिति की रिपोर्ट के मुताबिक 12.91 लाख की खरीद नियमानुसार नहीं हुई। छह लाख रुपये का अग्रिम भुगतान किया गया और समय से जिसका समायोजन नहीं किया। विवि ने विभागीय आवास आवंटन की 52,898 रुपये और लाइसेंस शुल्क के 3.82 लाख की वसूली नहीं की।
तकनीकी विवि – तकनीकी विवि ने अधिक भुगतान किया है जिसके बिलों का पता नहीं है। बता दें कि परीक्षा विभाग के पेपर प्रिंटिंग पर ज्यादा दर पर जीएसटी भुगतान किए जाने से 2.87 लाख का ज्यादा भुगतान किया गया है।
जिसमें कई वाउचर्स ऐसे हैं जिनके साथ बिल या इनवॉइस संलग्न नहीं था। तकनीकी विवि के बैंक खाते में करीब डेढ़ लाख रुपये ब्याज आया। जिसे राजकोष में जमा नहीं कराया गया है।
संस्कृत विवि – संस्कृत विवि ने मान्यता से प्रबंधन को चार करोड़ का अनुचित लाभ पहुंचाया है। बता दें कि संस्कृत विवि ने विभिन्न महाविद्यालय, शिक्षण संस्थान, व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की मान्यता देकर विद्यालय प्रबंधन को 3.97 करोड़ का अनुचित लाभ पहुंचाया।
कुमाऊं विवि – कुमाऊं विवि ने परीक्षा प्रक्रिया के कंप्यूटराइजेशन की प्रक्रिया में फर्म को 23 लाख 80 हजार का भुगतान कर दिया। शासन की बिना अनुमति के स्टाफिंग पैटर्न को लागू कर 1.44 लाख का नुकसान किया। इसके साथ ही 2004-05 से 2019-20 तक शासन की अनुमति बिना 150 संविदा, दैनिक वेतनभोगियों को 66 लाख का अनियमित भुगतान कर दिया।
इसके साथ ही विवि के भीमताल कैंपस ने कॉशन मनी के 10 लाख निकाले तो सही लेकिन इसके भुगतान का पता नहीं है। अनियमित सेवा विस्तार कर संविदा शिक्षकों को 92 लाख का भुगतान कर दिया गया।
विवि ने बिना अनुमति के सुरक्षा गार्ड आपूर्ति एजेंसी को 70 लाख का अनियमित भुगतान कर दिया। 1.12 करोड़ की उत्तर पुस्तिका, डिग्री बिना टेंडर छपवा दी। परियोजनाओं पर 1.39 करोड़ अतिरिक्त खर्च कर दिया। एसएस जीना परिसर में छात्रावास व अन्य निर्माण समय से न करने पर कार्यदायी संस्था से 2.76 लाख जुर्माना नहीं वसूला।
दून विवि – दून विवि ने नियम विरुद्ध 1.91 लाख रुपये की खरीद की है। इसके साथ ही नियम विपरीत 2.07 लाख का सॉफ्टवेयर खरीद कर बिना अनुमति के अनियमित भुगतान कर दिया। हिला छात्रावास के निर्माण को पैसा उपलब्ध था लेकिन कार्यदायी संस्था को जारी नहीं कियाष जिससे 3.99 करोड़ लागत बढ़ गई।