उत्तराखंड में आर्थिक हालात ठीक नहीं हैं। अपने कर्मचारियों को सेलरी देने के लिए भी अब उत्तराखंड सरकार के पास पैसे नहीं बचे हैं लिहाजा उसे बाजार से 300 करोड़ का उधार लेना पड़ेगा। बाजार से उधार लेकर सरकार अपने कर्मचारियों और पेंशनर्स को पेमेंट करेगी। सरकार को अभी सांतवे वेतनमान के भत्ते भी देने हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के कर्ज लेने की सीमा को बढ़ा दिया है लेकिन सवाल ये भी है कि कब तक राज्य उधार के सहारे चलता रहेगा।
आर्थिक अनुशासन का पालन न करना इस राज्य के लिए भारी साबित हो रहा है। सरकार अपनी आय बढ़ाने के लिए नीतियों को या तो बना नहीं पा रही है या फिर बनी हुई नीतियों पर काम बेहद धीमा है। ऐसे में ये लेटलतीफी राज्य की पीठ पर कर्ज का बोझ बढ़ाती जा रही है। वेतन भत्ते, मानदेय, पेंशन के लिए राज्य सरकार लगातार कर्ज ले रही है। इस वित्तीय वर्ष के अप्रैल महीने से ही राज्य सरकार उधार ले रही है। नवंबर की शुरुआत में भी 300 करोड़ का कर्ज लिया जा चुका है। अब फिर एक बार कर्ज लेने की नौबत आ गई है। इस तरह 600 करोड़ का कर्ज नवंबर में ही हो जाएगा।
हालांकि ये कर्ज लेने के साथ ही राज्य की कर्ज लेने की लीमिट खत्म हो गई लिहाजा केंद्र से विशेष अनुरोध कर लीमिट को बढ़वा लिया गया है।