देहरादून- सुधारों की पिच पर TSR सरकार ने रन बनाने शुरू कर दिए हैं। सलामी बल्लेबाजी के तौर पर सूबे के शिक्षामंत्री अरविंद पांडेय चौके छक्के लगा रहे हैं। अगले सत्र के लिए निजी स्कूलों की फीस का ड्राफ्ट तय करने के बाद अब सरकारी स्कूलों की सेहत दुरूस्त करने का काम शुरू हो गया है। यानि सुधारों की पिच पर शिक्षा महकमें की बिगड़ी हुई गेंद को बाऊंड्री पार भेजा जा रहा है
सूबे में तालीम आने वाले वक्त में तमाशा न बने इसके लिए सरकार बदलते ही शासन स्तर पर कोशिशें शुरू हो गई हैं। अब राज्य के सरकारी स्कूलों मे किसी को सरकारी नौकरी मिली तो उसे मंत्रियों, फौजियों या चिकित्सकों की तरह शपथ लेनी होगी।
अब से तैनाती पाने वाले मास्साबों को लिखित तौर से शपथ पत्र भरना होगा। ये शपथ पत्र फर्ज की याद तो दिलाएगा ही साथ ही तबादले के प्रति रूझान और दबाव की राजनीति को कम करने में भी सहायक होगा। राज्य में शिक्षा महकमा इसको लागू भी कर चुका है।
हाल मे ही कुमांऊ मंडल के लिए 55 एलटी शिक्षकों को नियुक्ति के आदेश जारी करते हुए शिक्षा महकमें ने चयनित अध्यापकों से प्रमाण पत्रों के साथ शपथ पत्र भी मांगा है। शपथ पत्र में साफ लिखा होगा कि ” नियक्ति के बाद मै विभाग की तबादला नीति का अक्षरशःपालन करूंगा, अपने संबंधियों के जरिए ट्रांसफर के लिए आवेदन नहीं करूंगा ”
हालांकि एलटी शिक्षक भर्ती में चयनित जिन 55 अध्यापकों को कुमांऊ मंडल के सरकारी स्कूलों में तैनाती मिली है उनको दो साल प्रोबेशन के तौर पर काम करना होगा।
बहरहाल सूबे की शिक्षा व्यवस्था को पटरी से उतरने कारण खिन्न आम आदमी इस कदम की जहां तारीफ कर रहा है और चिकित्सा सेवा में भी इसे लागू करवाने की हिमायत कर रहा है। वहीं शिक्षको की जमात से जुड़े लोग इसका विरोध कर रहे हैं उनका तर्क है कि हर सरकारी महकमें पर ये शर्त लागू होनी चाहिए ।