देहरादून- जिस सोशल मीडिया के दम पर मौजूदा दौर में राजनीतिक दल सत्ता का सुख भोग रहे हैं। उसी सोशल मीडिया की खबरों से सरकारें हलकान हुई जा रही हैं।
आभासी दुनियां में जंगल की आग की तरह फैलती खबरों ने उत्तराखंड सरकार की नाक में दम कर दिया है। लिहाजा सरकार को सामने आकर अपना पक्ष रखना पड़ रहा है। सरकार को सोशल मीडिया बंदर के हाथ में उस्तरा भी महसूस हो रहा है।
कुछ ऐसा ही हुआ उत्तराखंड में, गैरसैंण स्थाई राजधानी बनाने की मांग को लेकर हो रहे आंदोलन से घुटनों के बल बैठी सरकार को सोशल मीडिया की उस खबर ने बेचैन कर दिया जिसके मुताबिक राज्य में 10 साल या इससे ज्यादा वक्त से बंजर पड़ी जमीन को भूमिहीनों में बांट दिया जाएगा। जमीन सिंचित हो या असिंचित।
ऐसे में सरकार को सोशल मीडिया में बुरा भला कहने का दौर शुरू हो गया। लिहाजा उत्तराखंड के राजस्व विभाग को अब सरकार का पक्ष रखने के लिए हाजिर होना पड़ा है। राजस्व विभाग के प्रभारी सचिव हरबंश चुघ की ओर से जारी खंडन में कहा गया है कि सरकार ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है और न ऐसा कुछ विचाराधीन है।
प्रभारी सचिव के जारी लिखित खंडन में स्पष्ट किया गया है कि सोशल मीडिया में पसरी खबर किसी शरारती तत्व की उपज है। वहीं राजस्व विभाग ने चेतावनी भी दी है कि अगर किसी ने भी ऐसी अफवाह फैलाई तो उसके खिलाफ कड़ी वैधानिक कार्यवाही भी की जाएगी।